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अकबर बीरबल की कहानी-बादशाह का मूल्य

अकबर के दरबार का एक दरबारी बीरबल से बहुत चिड़ता था और इस कोशिश में लगा रहता था कि कैसे उसे फंसा कर राजदरबार से बाहर निकलवाया जाए. इसी उधेड़बुन में एक दिन उसे एक विचार आया और वह अकबर के पास जा पहुंचा. 

सुल्तान के सामने अपनी बात रखते हुए बोला कि आज उसके नौकर ने उसके सामने एक विचित्र प्रश्न रखा है कि एक आदमी का मूल्य कैसे निकाला जा सकता है और एक राजा का मूल्य कितने आदमियों के बराबर होता है.

अकबर को भी उस दरबारी की बात में दम लगा कि अगर किसी ने पूछ लिया कि बादशाह का क्या मोल है तो वह क्या जवाब देगा. अकबर को सोच में पड़ा देख दरबारी ने सुझाव दिया कि इस सवाल का जवाब बीरबल जैसा बुद्धिमान ही दे सकता है. अकबर ने बीरबल को हुक्म दिया कि वह बादशाह के मूल्य को निकालने का तरीका बताए.
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अकबर-बीरबल की कहानी- फंस गया दरबारी

दरबारी जानता था कि इस सवाल का जवाब बहुत टेढ़ा है और जवाब पसंद न आने पर अकबर नाराज हो जाएगा और बीरबल को देशनिकाला दे देगा. बीरबल भी कहां कम था, वह बोला- जहांपनाह, कीमती चीजों का मूल्य निकालने का काम तो जौहरी ही कर सकता है, आखिर में उसे ही हीरे की कद्र होती है. हमें यह काम अपने शहर के जौहरियों को ही दे देना चाहिए.

दरअसल जिसने अकबर को बादशाह का मूल्य निकालने का काम दिया था वह भी जौहरी ही था. इस तरह बीरबल ने इस जाल में उसे ही फंसा दिया. सभी जौहरियों को बुलाया गया और दरबारी जौहरी के नेतृत्व में एक दल बनाकर 15 दिन में बादशाह का मूल्य निर्धारित करने का काम दिया गया.

दरबारी जौहरी की हालत खराब हो गई और बहुत दिमाग लगाने के बाद भी जब इस सवाल का कोई हल नहीं निकला तो हारकर वह बीरबल के पास गया और उससे माफी मांगी और आगे से ऐसी बदमाशी न करने का वचन दिया. बीरबल ने उसे माफ किया और 15वें दिन उसे तराजू और कुछ अशर्फियों के साथ राजदरबार पहुंचने के लिए कहा.
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akbar birbal stories- बादशाह की कीमत एक अशर्फी 

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15वें दिन राजदरबार में बहुत भीड़ यह जानने के लिए इकट्ठी हो गई ताकि वे अपने बादशाह की कीमत जान सके. भरे दरबार में सभी जौहरियों को लेकर बीरबल बैठ गया और तराजू के दोनों ओर एक-एक अशर्फी रखकर वजन करने लगा.

काफी देर बाद वह मिल गया-मिल गया चिल्लाते हुए उठ खड़ा हुआ और एक अशर्फी लेकर बादशाह के पास पहुंचा और बोला- महाराज आपकी कीमत वाली अशर्फी मिल गई.

अकबर यह देखकर नाराज हुआ कि बीरबल उसकी कीमत एक अशर्फी लगा रहा है तो बीरबल ने कहा कि - महाराज यह कोई साधारण अशर्फी नहीं है. इसका वजन बाकि अशफियों की तुलना में सवाया है.

एक राजा की कीमत अपनी प्रजा से सवाया होती है इसलिए उसे ऊंचा आसान दिया जाता है. बादशाह बीरबल के इस तर्क को सुनकर खुश हो गया. उसे और उसकी प्रजा को बादशाह की कीमत पता चल गई थी. 

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