Mahabharat Stories in Hindi Mahabali Bheem |
महाभारत की कहानियां— महाबली भीम
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महाभारत में अर्जुन के बाद अगर की पांडव का नाम आता है तो वह भीम ही हैं. कहते हैं कि भीम में दस हजार हाथियों का बल था और समकालीन भारत में उनके समान गदा युद्ध करने का साहस सिर्फ दुर्योधन और बलराम में ही था.
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भीम को दस हजार हाथियों का बल कैसे मिला, इसके संबंध में महाभारत में एक कथा आती है. इस कथा के अनुसार जब गुरूकुल में पांडव और कौरव शस्त्र विद्या ग्रहण कर रहे थे तो अर्जुन ने धनुष को अपना प्रमुख अस्त्र बनाया लेकिन भीम और दुर्योधन ने गदा को अपना प्रमुख अस्त्र चुना.
दुर्योधन गदा युद्ध में पारंगत था लेकिन भीम के पास शारीरिक बल अधिक था इसलिए वह भीम से गदा युद्ध में जीत नहीं पाता था. इस वजह से उसे भीम से ईर्ष्या होने लगी. साथ ही भीम के भुजबल में अधिक होने की वजह से ही वह अन्य भाइयों को भी परेशान करने से बचता था.
दुर्योधन का द्वेष इतना बढ़ा कि उसने भीम की हत्या करने की योजना बना डाली. उसने पांचों भाइयों को भोजन पर आमंत्रित किया और भीम के लिए विशेष खीर बनवाई क्योंकि भीम को खीर बहुत प्रिय थी. जब भीम भोजन करने बैठे तो दुर्योधन ने उनके खीर में चुपके से जहर मिला दिया.
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भीम जब खीर खाकर मुर्छित हो गए तो उसने भीम को गंगा में प्रवाहित कर दिया. भीम बहते हुए नागलोक तक जा पहुंचे. नागलोक में उनकी मुलाकात वासुकी से हुई. भीम की माता कुंती वासुकी की पुत्री लगती थी. वासुकी नाग को जब पता लगा कि उनके पौत्र पर जहर का असर है तो उनका उपचार करने के लिए नाग अमृत पिलाया गया. जिसके एक प्याले में दस हजार हाथियों का बल था.
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इस अमृत के पीने से न सिर्फ भीम पर विष का प्रभाव दूर हो गया बल्कि उनमें दस हजार हाथियों का बल भी आ गया. भीम को सकुशल वापस लौटता देख दुर्योधन दुखी हो गया और जब उसे पता चला कि अब वह और अधिक बलवान हो गया है तो उसका दुख और बढ़ गया.
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जब हस्तिनापुर की राज्य सभा में द्रौपदी का चीरहरण हुआ तो भीम ने प्रतिज्ञा ली कि वह दुशासन की भुजा उखाड़ेगा और उसकी छाती से रक्त पीएगा और दुर्योधन की जंघा तोड़ेगा. महाभारत युद्ध में सभी 100 कौरवों को वध भीम ने ही किया और दुर्योधन की जंघा भी तोड़ी.
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