Panchtantra Story-Monkeys and Crocodile |
पंचतंत्र की कहानियां—बंदर और मगर
पंचतंत्र की कहानियों में बंदर और मगर की मित्रता की कहानी बहुत प्रसिद्ध है. इस कहानी की शुरूआत तब होती है जब एक बंदर एक नये जंगल में तालाब के किनारे एक जामुन के पेड़ पर अपना घर बनाता है.
जामुन का यह पेड़ कोई साधारण पेड़ नहीं था. इस पर पूरे साल बहुत ही मीठे और स्वादिष्ट जामुन आते थे. बंदर ने इस पेड़ पर बड़े मजे से रहना शुरू कर दिया. इस पेड़ के किनारे जो तालाब था उसमें एक मगरमच्छ रहा करता था जो बंदर को जामुन खाते देखता था.
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एक दिन बंदर की नजर उस मगर पर पड़ी तो बातचीत का दौर शुरू हुआ. इसके बाद मगर और बंदर के बीच दोस्ती हो गई. बंदर ने उपहार स्वरूप मीठे जामुन मगर को खाने को दे दिए. इसके बाद मगर रोज आने लगा और बंदर रोज उसे खाने के लिए मीठे जामुन देने लगा.
मगर और बंदर की दोस्ती बहुत बढ़ गई. बंदर रोज मगर को जामुन खिलाने लगा. दोनों की दोस्ती गहरी होने लगी तो बंदर और ज्यादा जामुन मगर को खिलाने लगा. मगर अब जामुन अपने घर ले जाकर अपनी पत्नी को भी खिलाने लगा. इस तरह मगर की पत्नी को भी मगर और बंदर की दोस्ती के बारे में पता लगा.
मगर और बंदर की दोस्ती मगर की पत्नी को पंसद नहीं आई. उसने इस दोस्ती को तोड़ने के लिए एक नाटक रचा. उसने एक दिन बीमार होने का नाटक किया और मगर को बोला कि उसको एक खास बीमारी हुई है जो सिर्फ बंदर के कलेजे को खाने से ही ठीक हो सकता है.
इस बात को सुनकर मगर अपने दोस्त बंदर के पास गया और उसे खाने पर आमंत्रित किया. बंदर बोला कि उसे तैरना नहीं आता. मगर बोला कि तुम मेरे पीठ पर बैठ जाओ और मैं तुम्हें अपने घर ले चलुंगा. बंदर ने अपने मित्र पर विश्वास किया और मगर की पीठ पर बैठ गया.
बीच तालाब ले जाकर मगर बंदर को पानी में डुबाने लगा तो बंदर ने मगर से पूछा की वह ऐसा क्यों कर रहा है. मगर ने बताया कि उसकी पत्नी को उसका कलेजा खाना है इसलिए उसे मरना पड़ेगा. बंदर को पता चल गया कि मगर उसके साथ विश्वासघात कर रहा है.
बंदर ने दिमाग लगाया और बिना घबराए बोला, कि क्या मित्र तुमने पहले क्यों नहीं बताया. तुम्हारी पत्नी को स्वस्थ करने में मेरी जान भी चली जाए तो कोई दुख नहीं लेकिन मैं तो अपने कलेजा पेड़ पर ही छोड़ आया. तुम पहले बता देते तो तुम्हे अपना कलेजा दे देता.
मगर मूर्ख था और बंदर की बात पर विश्वास कर उसे वापस ले आया. बंदर उसकी पीठ से उतर कर पेड़ पर चढ़ गया और बोला कि आज के बाद कोई मगरमच्छ का विश्वास नहीं करेगा और उसका कलेजा उसके शरीर में ही है.
Moral of the Story
शिक्षा: दोस्ती समान सोच रखने वालों के बीच ही होती है और किसी पर भी आंख मूंद कर विश्वास कर लेने से नुकसान उठाना पड़ता है.
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