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sheetla mata vrat katha and pooja in hindi
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व्रत कथा— गणगौर की व्रत कथा

Gangaur Festival-गणगौर का त्योहार चैत्र शुक्ल तृतीया को मनाया जाता है. यह पूजा होली के दूसरे दिन से प्रारम्भ होकर सोलह दिन तक चलती है. इस पूजा में गौरी—ईसर की पूजा की जाती है. यह त्यौहार कुंआरी बालिकाओं द्वारा प्रमुखता से मनाया जाता है. जिसमें वे मां गौरी से शिव जैसा वर मांगती हैं.

गणगौर की कथा

कथा- प्राचीन लोक कथाओं के अनुसार राजा के यहां जौ-चने तथा माली के खेत में दूब बोई गई. राजा के जौ- चने अच्छी तरह से उग रहे थे, लेकिन माली की दूब दिन-प्रतिदिन कम होती जा रही थी. यह देखकर माली चिंतित हो उठा और उसने आसपास के लोगों से इसका कारण पूछा. उन्होंने बताया कि लड़कियां सुबह आती हैं और तुम्हारे यहां से दूब तोड कर ले जाती हैं. दूसर दिन माली लड़कियों को पकड़ने के लिए एक बैलगाड़ी के नीचे छिपकर बैठ गया.

प्रातःकाल जब लड़कियां दूब तोड़ने आईं और दूब तोड़ने लगीं, तो माली बैलगाड़ी के नीचे से बाहर आया और उसने उन लड़कियों में से किसी का लोटा, किसी की डोर, वस्त्र एवं गहने इत्यादि छीन लिए और कहने लगा 'तुम सब मेरे यहां से दूब क्यों तोड़ कर ले जाती हों?' लड़कियों ने बताया कि 'हम गणगौर का पूजन कर रही हैं.

पूजन के लिए दूब तोड़कर ले जाती हैं. यह सुनकर माली ने उन लड़कियों का सभी सामान वापस लौटा दिया. सोलहवें दिन गणगौर पूजन कर लड़कियां एवं महिलाएं प्रसाद, फल, लापसी आदि लेकर माली के घर आ गईं. उन्होंने सभी सामग्री माली की मां को दे दी. मां ने सभी सामान कोठे के अन्दर रख दिया.

थोड़ी देर बाद माली आया और उसने अपनी मां से कुछ खाने के लिए मांगा. तब मां बोली- 'गांव की लड़कियां एवं महिलाएं आज खूब फल, लापसी आदि लाई हैं. तू कोठे से उन्हें ले ले और जी भर कर खा ले. माली कोठे में जब प्रसाद लेने गया तो क्या देखता है कि वहां बरतनों में हीरे—जवाहरात पड़े हैं. मां गौरी की कृपा से यह चमत्कार हुआ था. इसके बाद माली भी हर वर्ष गणगौर पूजन करने लगा.

गणगौर के गीत

गौरि ए गणगौरी माता ! खोल किवाड़ी 
बाहर    उबी    थारी   पुजनवाली.
पूजो ए पूजाओ बाई , काई – काई! मांगों?
अन्न मांगों , धन मांगों , लाछ मांगों ,  लछमी.
जलहर  जामी बाबल माँगा रातादेई माई.
कान कुंवर सो बीरों माँगा राई सी भोजाई
ऊंट चढ्यो बहणेंई माँगा चुडला वाली बहणल.

गणगौर का गीत

गौर – गौर गणपति ईसर पूजे पार्वती
पार्वती का आला गीला , गौर का सोना का टिका ,
टिका दे , टमका दे , राजा रानी बरत करे ,
करता करता , आस आयो वास आयो ,
खेरो   खांडो   लाडू  लायो ,
लाडू ले बीरा न दियो ,बीरो म्हाने चुनड  दी
चुनड को में बरत करयो
सन मन सोला , ईसर गोरजा ,
दोनु जौड़ा , जोर ज्वार
रानी पूजे राज में , मैं पूजा सुहाग में ,
रानी को राज घटतो जाई , म्हाखो सुहाग बढतों जाय ,
किडी किडी कीड़ो ल्याय , किडी थारी जात दे ,
जात दे , गुजरात दे , गुजरात्या को पानी
दे दे थम्बा तानी , ताणी का सिघडा, बारी का बुजारा
म्हारो भाई एम्ल्यो खेम्ल्यो ,
सेर सिंघाड़ा ल्यो , पेफ का फूल ल्यो ,
सूरज जी को डोरों ल्यो , सोना को कचोलो ल्यो
गणगौर पूज ल्यो |
सोलह बार गणगौर पूजने के बाद पाटे धोने का गीत गाते हैं |
पाटा धोने का गीत
पाटो धोय पाटो धोय , बीरा की बहन पाटो धो ,
पाटा ऊपर पिलो पान , महे जास्या बीरा की जान ,
जान जास्या , पान खास्या , बीरा न परनार ल्यास्या ,
अली गली में  साँप जाय , भाभी थारो बाप जाय ,
अली गली गाय जाय , भाभी तेरी माय जाये ,
दूध में  डोरों , म्हारो भाई गोरो ,
खाट पर खाजा , म्हारो भाई राजा ,
थाली में जीरो म्हारो भाई हीरो ,
थाली में हैं , पताशा बीरा करे तमाशा
ए खेले नंदी बैल , ओ पानी कठे जासी राज ,
आधो जासी अली गली ,आधो ईसर न्हासी राज ,
ईसर जी तो न्हाय लिया , गौर बाई न्हासी राज ,
गौरा बाई रे बेटो जायो , भुवा बधाई ल्याई राज ,
अरदा तानो परदा तानो , बंदरवाल बंधाओ राज ,
सार की सुई पाट का धागा , भुआ बाई के कारने भतीजा रहगया नागा ,
नागा नागा काई करो और सिवास्या बागा ,
ओडा खोडो का गीत
ओडो छे खोड़ो छे घुघराए , रानियारे माथे मोर ,
ईसर दास जी , गौरा छे घुघराए रानियारे माथे मोर ….

गणगौर माता की आरती

म्हारी डूंगर चढती सी बेलन जी
म्हारी मालण फुलडा से लाय |
सूरज जी थाको आरत्यों जी
चन्द्रमा जी थाको आरत्यो जी |
ब्रह्मा जी थाको आरत्यो जी
ईसर जी थाको आरत्यो जी
थाका आरतिया में आदर मेलु पादर मेलू
पान की पचास मेलू
पीली पीली मोहरा मेलू , रुपया मेलू
डेड सौ सुपारी मेलू , मोतीडा रा आखा मेलू
राजा जी रो सुवो मेलू , राणी जी री कोयल मेलू
करो न भाया की बहना आरत्यो जी
करो न सायब की गौरी आरत्यो जी

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