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Mulla Nasruddin Stories- मुल्ला नसरूद्दीन की कहानियां
Mulla Nasruddin Biography in Hindi
मुल्ला नसरूद्दीन बुखारा का निवासी है जो अमीर और बेइमान लोगों का दुश्मन है. वह गरीबो को प्रेम करता है और उनके हक के लिए लड़ता है. बुखारा के अमीर उसे इसी वजह से नापसंद करते हैं और उसे तथा उसके परिवार को बुखारा से निकाल देते हैं.
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उसके पिता को मार दिया जाता है. इतने जुल्म सहने के बाद भी मुल्ला नसरूद्दीन को बुखारा का अमीर झुका नहीं पाता है और मुल्ला नसरूद्दीन जिन्हें ख्वाज नसरूद्दीन के नाम से भी जाना जाता है अपने अक्ल की मदद से वह अमीरों को मुर्ख बनाकर गरीबों की मदद करता है.
मुल्ला नसरूद्दीन- गधे का रिश्तेदार
मुल्ला नसरूद्दीन को बुखारा छोड़े 12 साल हो गए. इसी बीच उसे पता चला कि जिस अमीर से उसे दुश्मनी थी और जिसकी वजह से उसे बुखारा छोड़ना पड़ा था, उसकी मृत्यु हो गई है.
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इस खबर से उसके मन में मादरेवतन लौटने की इच्छा जागी और और वह एक बार फिर अपने प्यारे गधे पर सवार होकर बुखारा के लिए निकल पड़ा. बुखारा तक का सफर तय करने के लिए उसने व्यापारियों के एक दल में शामिल होने का फैसला लिया और उनके साथ हो लिया.
बुखारा का पुराना अमीर भले ही मर गया हो लेकिन बुखारा के निवासियों को जुल्म और अत्याचार से राहत नहीं मिली थी. नया अमीर पुराने अमीरे से भी ज्यादा जालिम और क्रूर था. व्यापारियों के दल के साथ नसरूद्दीन आखिर अपने शहर बुखारा के गेट पर आ पहुंचा. mulla nasruddin in hindi
नय अमीर ने बुखारा में आने वाले हरेक आदमी पर कर का बोझ डाल दिया था और उसने अपने सिपाहियों से कह दिया था कि किसी न किसी बहाने हर आदमी से ज्यादा से ज्यादा कर वसूल करे.
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सिपाहियों ने देखा कि व्यापारियों के पास बहुत माल है तो उन्होंने ऐसे-ऐसे करों के नाम बताए जिनके बारे में किसी ने कुछ सोचा ही न था. उन्होंने लगभग सभी व्यापारियों को लूट ही लिया था.
जब सिपाहियों ने सभी व्यापारियों से वसूली कर ली तो मुल्ला की बारी आई. सिपाहियों ने पूछा कि उसे किस काम से शहर के अंदर जाना है ताकि उसके कर की रकम को तय किया जा सके.
मुल्ला नसरूद्दीन ने सिपाही से कहा कि भले आदमी, उसे शहर में नहीं जाना, दरअसल उसके गधे को अपने रिश्तेदारों से मिलने के लिए शहर में जाना है. सिपाही का माथा ठनका और उसने मुल्ला से सवाल वापस किया कि भले गधे के भी रिश्तेदार होते हैं.
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मुल्ला नसरूद्दीन ने फिर जवाब दिया कि बुखारा में ज्यादातर लोग इसी गधे के रिश्तेदार ही हैं इसलिए तो उन्होंने ऐसे अमीर को अपना राजा चुन लिया है जो अपने भले के अलावा किसी और के बारे में सोचता ही नहीं है.
ऐसा सुनते ही सिपाही को गुस्सा आ गया लेकिन वह कुछ नहीं बोला. उसने अपने अफसर को कहा कि मुल्ला बकवास कर रहा है और यह पागल कहता है कि उसे नहीं उसके गधे को शहर में जाना है. अफसर को पहले तो हंसी आ गई. लेकिन फिर वह मुल्ला नसरूद्दीन के पास आया और बोला कि गधे को अपने रिश्तेदारो से मिलने के लिए दस तांके देने पड़ेंगे.
मुल्ला ने अफसोस जताते हुए कहा कि तब तो यह गधा अपने रिश्तेदारों से नहीं मिल पाएगा क्योंकि इसके पास दस तांके नहीं है और इसका खर्च मैं उठाने से रहा लेकिन बंदापरवर अगर इजाजत दे तो मैं गधे के रिश्तेदारों तक इसकी बात पहुंचा आउं.
अफसर ने उसे इजाजत दी. मुल्ला ने अपना अगला दांव खेला. बंदापरवर इस गधे के रिश्तेदार बुखारा के दूसरे कोने में रहते हैं और मैं भलामानस इतनी दूर पैदल नहीं चल सकता. अगर आप अपने किसी घोड़े से मुझे वहां तक छुड़वा देते तो दुआ देता.
अफसर बिगड़ कर बोला, अजीब अहमक आदमी हो. जब तुम्हारे पास गधा है तो तुम्हें दूसरी सवारी की क्या जरूरत. जहां भी जाना हो, अपने गधे पर जाओ. इतना सुनना था कि मुल्ला अपने गधे पर सवार होकर सरपट दौड़ लिया.
अफसर को जब तक अपनी गलती समझ में आई तब तक मुल्ला उनकी नजरों से दूर निकल चुका था और अपने उस घर पर पहुंचा जिसे पुराने अमीर ने आग के हवाले कर दिया था. अपने जर्जर और खत्म हो चुके घर को देखकर मुल्ला ने दुख का इजहार किया और उसके गधे ने अपने मालिक के दुख में खुद को शरीक किया.
मुल्ला ने कसम खाई कि वह बुखारा को इस नये अमीर की जुल्मों से निजात दिलवाएंगे. बुखारा में खबर फैल चुकी थी कि गरीबों का रखवाला मुल्ला नसरूद्दीन शहर में आ चुका है. अमीरों में खलबली मच गई और गरीबों में खुशी की लहर.
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