Geeta Darshan-Osho-हे अर्जुन! मैं "ओंकार" हूँ. |
Motivational Speech of Osho
Osho Stories in Hindi
गीता दर्शन-ओशो
हे अर्जुन.........मैं "ओंकार" हूँ.
ओंकार कहकर कृष्ण कहते हैं कि मैं वह परम अस्तित्व हूं, जहां केवल उस ध्वनि का साम्राज्य रह जाता है, जो कभी पैदा नहीं हुई' और कभी मरती नहीं है, जो अस्तित्व का मूल आधार है. उस संगीत के सागर का नाम ओंकार है.
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उस तक पहुंचना हो, तो अपने मन से सब ध्वनियां समाप्त करनी चाहिए.
अपने मन से एक-एक ध्वनि को छोड़ते जाना चाहिए,
एक-एक शब्द को, एक-एक विचार को और मन की ऐसी अवस्था ले आनी चाहिए, जब मन निर्ध्वनि हो जाए, साउंडलेस हो जाए।
और जिस दिन आप पाएंगे कि मन हो गया ध्वनिशुन्य,
उसी दिन आप पाएंगे, ओंकार प्रकट हो गया!
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ओंकार वहां निनादित हो ही रहा था. ओंकार की धुन वहां बज ही रही थी सदा से, अनंत से, अनादि से. लेकिन आप इतने शोरगुल में व्यस्त थे, आप इतने जोर में लगे थे बाहर कि आपको वह ध्वनि सुनाई नहीं पड़ती थी.
आपका यह उपद्रव शांत हो जाए, आपका यह बुखार से भरा हुआ, दौड़ता हुआ पागलपन शांत हो जाए, तो जो सदा ही भीतर बज रहा है, वह अनुभव में आने लगता है. वह मनुष्य की आत्यंतिक अवस्था है. वह उसका परम भविष्य है. कृष्ण कहते हैं, मैं ओंकार हूं. और कृष्ण कहते हैं, ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद भी मैं ही हूं. ओंकार के बाद वेद की बात कहने का कारण है, प्रयोजन है.
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कृष्ण कहते हैं, वह परम ध्वनि मैं हूं और उस परम ध्वनि को पहुंचने वाले जितने भी शास्त्र हैं, वह भी मैं हूं. उस परम ध्वनि की ओर जिन-जिन शास्त्रों ने इशारा किया है, वह भी मैं हूं.
वह ध्वनि तो मैं हूं ही, लेकिन जो इंगित वह चांद तो मैं हूं ही, जिन अंगुलियों ने चांद की तरफ इशारा किया है, वे अंगुलियां भी मैं ही हूं. क्योंकि मेरे अतिरिक्त मेरे उस गुह्यतम रूप की तरफ इशारा भी कौन कर सकेगा ???
Osho quotes in Hindi about life
मेरी तरफ अंगुली भी कौन उठा सकेगा सिवाय मेरे ???
तो कृष्ण कहते हैं, वेद भी मैं ही हूं.
वेद का अर्थ है, वह सब, जिसने ओंकार की ओर इशारा किया है.
वेद का अर्थ है, वह सारा ज्ञान, जिसने उस परम ध्वनि की तरफ ले जाने का मार्ग खोला है.
उन्होंने तीन वेद का नाम लिया है. विचारपूर्वक ही यह बात है.
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क्योंकि कल मैंने आपसे कहा, तीन प्रकार के मनुष्य हैं. तो तीन प्रकार के वेद होंगे. तीन प्रकार के मन हैं, तो तीन प्रकार के ज्ञान होंगे. तीन तरह के टाइप हैं, प्रकार हैं, तो तीन प्रकार के इशारे होंगे.
कृष्ण ने कहा कि वे तीनों वेद मैं हूं.
Osho Pravachan hindi
चाहे कोई कर्म से अपने कर्ता को मिटा दे, तो ओंकार में प्रवेश कर जाता है.
चाहे कोई अपने प्रेम से प्रेमी को डुबा दे, तो ओंकार में प्रवेश कर जाता है.
और चाहे कोई अपने ज्ञान से द्वैत के पार हो जाए, अद्वैत में प्रवेश कर जाए,
तो उस ओंकार को उपलब्ध हो जाता है.
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