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जातक कथा— छह दांतो वालों हाथी


Jatak katha- जातक की यह कथा बहुत सुनी—सुनाई जाती है. हिमालय के वनों में जातियों के दो दल निवास करते थे. पहले दल का राजा छहदन्त था और दूसरे दल का राजा उपोसथ था. यह जातक कथा पहले दल के राजा छहदन्त और उसकी रानियों के बारे में है. छहदंत की दो रानिया ​थी जिनका नाम महासुभद्दा और चुलसुभद्दा था. छहदंत के अपने नाम के अनुरूप ही छह दांत थे, जिनमें से अनुपम आभा फूटती थी.

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छहदन्त अपनी दोनों रानियों से समान प्रेम किया करता था. दोनो रानियां भी उसके साथ प्रेमपूर्वक जीवन व्य​तीत कर रही थी. एक दिन छहदन्त अपनी दोनों रानियों के साथ जलक्रीड़ा कर रहा था. इसी क्रीड़ा के दौरान छहदन्त ने एकसाल वृक्ष की डाली को तोड़ने का प्रयास किया तो उसके फूल और मकरंद महासुभद्दा पर गिरे और सूखी टहनियां चुलसुभद्दा पर गिरी. चुलसुभद्दा ने इसे अपना अपमान माना.

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छहदंत ने यह जानबूझ कर नहीं किया था. चुलसुभद्दा ने इस बात को स्वीकार नहीं किया और रूठकर जंगल छोड़ दिया. छहदन्त ने अपनी रानी को खोजने का खूब प्रयास किया लेकिन वह उसे नहीं खोज पाया. उधर कुछ समय बाद चुलसुभद्दा की मृत्यु हो गई और अगले जन्म में उसने एक राजकुमारी के रूप में जन्म लिया और उसका विवाह काशी के राजा के साथ हुआ. अपने पिछले जन्म की नफरत को वह इस जन्म में भी न भुला सकी.

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काशी की पटरानी बनी चुलसुभद्दा ने राजा को छहदंत के सुंदर दांतो के बारे में बताया और उन्हें लाने का आग्रह किया. राजा ने अपनी रानी की इच्छा को पूरा करने के लिए कई निषादों को काम पर लगाया. लंबी खोज के बाद आखिर एक शिकारी ने उस स्थान को खोज लिया जहां छहदंत रहा करता था.

छहदंत को फंसाने के लिए उसने एक गढ्ढा खोदा और उसे पत्तियों से ढक दिया. जैसे ही छहदंत उस खढ्ढे के निकट पहुंचा शिकारी ने तीर से उसे मारने का प्रयास किया ताकि वह उस गढ्ढे में गिर जाए. छहदंत ने शिकारी को देख लिया और उसके पीछे दौड़ा. भय के मारे शिकारी जड़ हो गया लेकिन छहदंत एक दयालु हाथी था.

उसने शिकारी को नहीं मारा. इस वजह से शिकारी का हृदय परिवर्तन हो गया. शिकारी ने रानी की सारी बात छहदंत को बता दी. छहदंत ने अपनी दिव्य शक्ति से पता लगा लिया कि वह उसकी पूर्व जन्म की राजनी चुलसुभद्दा है. छहदंत को यह जानकर दुख हुआ कि उसकी रानी की बदले की आग अभी तक नही बुझी है.

इस दुख की वजह से छहदंत ने अपने दांत शिकारी को देकर अपने प्राण त्याग दिए. शिकारी दांत लेकर रानी के पास पहुंचा और सारा वृतांत रानी को कह सुनाया. रानी को छहदंत की मृत्यु का इतना ​अधिक शोक हुआ कि तत्काल उसने भी प्राण त्याग दिए.

Jatak katha with Moral

शिक्षा: बदले की आग सिर्फ नुकसान ही पहुंचाती है.

Jatak meaning

The Jataka tales or we called it जातक in Sanskrit are a part of Buddhism literature in India In theses stories they claim an elaborate the previous births of Gautama Buddha in human and animal form. They Believe that in future Buddha may appear as a king, an outcast, a god, an elephant—but, in whatever form, he exhibits some virtue that the tale thereby inculcates. Often, Jataka tales or jatak katha wherever people in trouble the Buddha character intervenes to resolve all the problems and bring about a happy ending.

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