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Hindi Stories-Jatak katha- two swans

जातक कथा—मानसरोवर के हंस


जातक की यह कथा बहुत प्रसिद्ध है. मानसरोवर झील में दो स्वर्ण हंस रहा करते थे. इन दोनों को हंसों ने अपना राजा और सेनापति मान रखा था. राजा हंस का नाम युधिष्ठिर और सेनापति हंस का नाम सुमुख था. यह दोनों हंस अपने नाम की ही भांति धर्म और ज्ञान के स्तम्भ थे. इन्होंने जीवन के हरेक सत्य को जान लिया था और ब्रह्म को प्राप्त हो गए थे. इन हंसों की ख्याति पूरी दुनिया में फैली हुई थी.

jataka tales with morals in hindi

इनकी ख्याती फैलते—फैलते वाराणसी के राजा तक पहुंची. वाराणसी के राजा ने मानस के इन दुर्लभ हंसों को फंसाने के लिए एक रमणीक उद्यान में एक अति सुन्दर सरोवर का निर्माण करवाया, जहां पक्षी बिना किसी खतरे के निवास कर सकते थे और उद्यान के स्वादिष्ट फलों का रसास्वादन कर सकते थे.

jatak katha of gautama buddha in hindi

एक बार मानसरोवर के कुछ हंस वाराणसी के ऊपर से उड़ते हुए जा रहे थे तो उन्होंने इस सुंदर सरोवर को देखा. वे आराम करने के लिए वहां उतर गए और कई दिन तक वहां के वातावरण में विश्राम किया. इसके बाद वे मानसरोवर लौट आए. मानसरोवर आकर उन्होंने अपने राजा और सेनापति से बताया​ कि वाराणसी नगर में एक अत्यन्त रमणीक उद्यान और बहुत सुदंर तालाब बनवाया गया है. जहां पक्षी को किसी प्रकार का भय नहीं है. हम सभी को उस स्थान पर चलकर रहना चाहिए.

jatak katha of gautama buddha in hindi pdf

सेनापति सुमुख ने कहा कि जो स्थान अपनी मूल प्रवृति से उलट व्यवहार करें, उससे सावधान रहना चाहिए क्योंकि वह इससे अपना दूसरा प्रयोजन सिद्ध करती है लेकिन हंसो ने उस स्थान की इतनी प्रशंसा की कि राजा युधिष्ठिर ने अपने आपको उस स्थान पर जाने से नहीं रो सका. अपने राजा के पीछे—पीछे सेनापति सुमुख और सभी हंस उस तालाब पर पहुंच गए. 

राजा को जब पता चला कि दोनों दुर्लभ हंस उस तालाब पर आ चुके हैं तो एक आखेटक को उनको पकड़ने की जिम्मेदारी दी गई. आखेटक ने जाल बिछाया. तालाब में भ्रमण करते हुए राजा युधिष्ठिर का एक पैर जाल में फंसा तो वह समझ गया कि यह हंसों को बंदी बनाने का एक षड़यंत्र है. राजा ने सभी हंसों को सावधान कर दिया और सभी हंस तुरंत तालाब से उड़ गए लेकिन सेनापति सुमुख ने अपने स्वामी को छोड़कर जाने से मना कर दिया. राजा यु​धिष्ठिर ने बहुत समझाया लेकिन वह नहीं माना.

आखेटक जब हंसों को पकड़ने के लिए आया तो यह देखकर आश्चर्यचकित रह गया कि एक हंस जो जाल में नहीं फंसा है दूसरे हंस की रक्षा के लिए वहां से नहीं जा रहा है तो उसने सुमुख से इसका कारण पूछा. सुमुख ने उत्तर दिया कि उसके लिए स्वामीभक्ति प्राणो से बढ़कर प्रिय है. आखेटक को यह देखकर पश्चाताप हुआ और उसने दोनों हंसों को आजाद कर दिया.

हंसों को मालूम था कि आखेटक के इस प्रकार हंसों को छोड़ देने पर राजा आखेटक के प्राण ले लेगा. हंसों ने उससे कहा कि वे दोनों हंसों को अपने कंधे पर बिठा कर राज दरबार ले जाए. आखेटक ने ऐसा ही किया. हंसो को इस प्रकार आते देख राजा आखेटक से खुश हो गया और उसे उचित इनाम देकर विदा किया. आखेटक ने जाने से पहले सारी कथा राजा को बताई तो राजा का हृदय परिवर्तन हो गया.

राजा ने हंसो से आग्रह किया कि वे अपने ज्ञान से राज दरबार को लाभान्वित करें. हंसों ने कई दिन तक राज दरबार को अपने उपदेशों से लाभान्वित किया और इसके पश्चात वे लौटकर मानसरोवर आ गए.

Jatak katha with Moral

शिक्षा: नैतिकता के पक्ष में रहने वाले व्यक्ति की सदैव जीत होती है.

Jatak meaning

The Jataka tales or we called it जातक in Sanskrit are a part of Buddhism literature in India In theses stories they claim an elaborate the previous births of Gautama Buddha in human and animal form. They Believe that in future Buddha may appear as a king, an outcast, a god, an elephant—but, in whatever form, he exhibits some virtue that the tale thereby inculcates. Often, Jataka tales or jatak katha wherever people in trouble the Buddha character intervenes to resolve all the problems and bring about a happy ending.

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