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tenali rama story in hindi

तेनाली राम की कहानियां— तीन गुड़िया

तेनाली राम का संक्षिप्त परिचय-Tenali rama short biography

तेनाली राम राजा कृ​ष्ण देव राय के दरबार के एक प्रमुख कवि और विद्वान थे. वे राजा कृष्णदेव राय के दरबार के अष्ठदिग्गज में से एक माने जाते थे. उनका वास्तविक नाम तेनाली रामकृष्णन था. उन्हें अपनी कविताओं की वजह से विकटाकवि की उपाधि से नवाजा गया था. वे तेलुगु भाषा में कविता की रचना करते थे. उन्हें अपने हास्य और विद्वता के कारण भी जाना जाता है. वे विजयनगर साम्राज्य के सबसे प्रख्यात व्यक्तियों में से एक थे. उनका जन्म 1509 में हुआ और मृत्यु 16वी सदी के आरंभ में हुआ. उनकी प​त्नि का नाम शारदा और बेटे का नाम भास्कर था.

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तेनाली राम राजा कृष्ण देव राय के प्रमुख विद्वान थे. राजा को उनकी विद्वता पर पूरा भरोसा था. उनकी ख्याती चारो दिशाओं में फैली हुई थी. उनकी ख्याती सुनकर एक व्यापारी राजा कृष्णदेव राय के दरबार में आया. उसने तेनाली राम के बारे में बात की और उनकी विद्वता के बारे में राजा से प्रश्न किया.

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तेनाली राम हमारे दरबार के सबसे विद्वान पुरूष है. राजा ने उत्तर दिया. व्यापारी ने कहा कि अगर राजा को कोई समस्या न हो तो वे तेनाली राम के बुद्धि का परीक्षण करना चाहते हैं. राजा ने सहर्ष इसकी अनुमति दे दी. व्यापारी ने अपने झोले से तीन गुड़िया निकाली और राजा के समक्ष रख दी. तीनों गुड़िया देखने में ​बिल्कुल एक जैसी थी.

व्यापारी ने राजा को बताया कि यही पहेली है कि इन तीनों में कोई अंतर है जो बहुत विद्वान व्यक्ति ही खोज सकता है. अगर तेनाली राम ने इस अंतर को खोज लिया तो व्यापारी मान जाएगा कि तेनाली राम इस दुनिया के सबसे बुद्धिमान व्यक्ति है. राजा ने पूरे दरबार के लोगों को बुलाया और गुड़िया में अंतर खोजने को कहा लेकिन कोई दरबारी उनमें अंतर नहीं खोज सका. व्यापारी ने राजा को गुड़िया में अंतर खोजने के लिए एक सप्ताह का समय दिया.

तेनाली राम तक जब यह बात पहुंची तो वे दरबार पहुंचे और राजा से गुड़िया ले ली. उन्होंने राजा से अंतर खोजने के लिए तीन दिन का समय मांगा. तेनाली राम ने गुड़ियाओं का सूक्ष्म निरीक्षण किया और तीसरे दिन वे राज दरबार पहुंचे. हर कोई यह जानने के लिए उत्सुक था कि आखिर तेनाली राम को सफलता मिली या नहीं.

तेनाली राम ने दरबार में पहुंच कर राजा कृष्णदेव राय को बताया कि उन्होंने इन गुड़ियाओं के बीच के अंतर को पहचान लिया है. उन्होने एक सूई मंगवाई. इसी बीच राजा ने उस व्यापारी को बुलवा भेजा. तेनाली राम ने बारी—बारी से तीनों गुड़ियाओं के कान में सूई डाली. पहली गुड़िया के कान में सुई डालने पर वह उसके मूंह से बाहर आई. दूसरी गुड़िया के एक कान से सूई डालने पर वह दूसरी कान से बाहर आई और तीसरी गुड़िया के कान में सुई डालने पर वह दिल में चली गई.

तेनाली राम ने इसकी व्याख्या करते हुए बताया कि पहली गुड़िया चुगलखोर है और वह रहस्य छुपा नहीं सकती. दूसरी गुड़िया लापरवाह है, वह बात को एक कान से सुनकर दूसरे कान से बाहर निकाल देती है. तीसरी गुड़िया जिम्मेदार है जो बात को अपने हृदय में आत्मसात कर लेती है. व्यापारी तेनाली राम के इस सूक्ष्म विश्लेषण से प्रसन्न हुआ और उसने तेनाली राम की बुद्धि की भूरि—भूरि प्रशंसा की.


Moral of the Story

शिक्षा: व्यक्ति में भेद उसके गुणों से होता न कि बाहृय स्वरूप से.

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