पंचतंत्र की कहानी—शेर और लोमड़ी की कहानी- गधे का दिमाग
शेर और लोमड़ी की कहानी पंचतंत्र की यह कहानी बहुत ही मशहूर है. एक बार एक शेर जो कि बहुत बूढ़ा हो चुका था कि भूखों मरने की नौबत आ गई. दरअसल यह शेर अब जानवरों का पीछा नहीं कर पाता था इसलिए कभी शिकार पकड़ पाता, कभी नहीं पकड़ पाता. इस वजह से वह लगातार कमजोर होता जा रहा था. उसकी मृत्यु निश्चित थी. उसने विचार किया कि अगर बैठे-बैठे भोजन चाहिए तो इसके लिए कोई युक्ति लगानी होगी.
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काफी विचार के बाद उसे एक अच्छी योजना समझ में आई. उसने जंगल के लोमड़ी को बुलावा भेजा जब लोमड़ी उसके पास आ गई तो शेर ने लोमड़ी का प्रस्ताव दिया कि मैं उसे अपना प्रधानमंत्री बना देगा बदले में उसे रोज एक जानवर भोजन के तौर पर उसके पास लेकर आना होगा. लोमड़ी जानती थी कि शेर को मना करके वह जिंदा नहीं बच पाएगी इसलिए उसने शेर के इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया.
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पंचतंत्र में लोमड़ी को बहुत ही धूर्त और बुद्धिमान माना गया है. लोमड़ी शेर के लिए भोजन जुटाने हेतु जंगल में निकल पड़ी. थोड़ी ही देर बाद उसे एक गधा चरता हुआ दिखाई दिया. गधे को देखते ही उसने उसे जाल में फंसाने की योजना बनाई और गधे से जाकर बोली, मित्र गधे मैं तुम्हें कई दिनों से खोज रही हूं. गधे ने आश्चर्य से पूछा कि वह उसे क्यों खोज रही है, तो लोमड़ी ने बताया जंगल का राजा शेर गधे की बुद्धिमानी से बहुत ही अधिक प्रभावित है और वह मेहनती गधे कि मेहनत का परिणाम देना चाहता है. उसे अपना मुख्यमंत्री बनाना चाहता है. गधा यह सुनकर प्रसन्न हो गया.
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लोमड़ी ने गधे से कहा कि वह शेर के पास चल कर अपना वेतन निर्धारित कर ले. गधा लोमड़ी की बातों में आ गया और शेर के पास पहुंचा. शेर ने जैसे गधे को देखा तो उसे खाने के लिए दौड़ा. गधा यह देख कर डर के मारे वहां से भाग निकला. शेर बहुत नाराज हो गया और लोमड़ी को बोला कि अगर वह गधे को दोबारा उसके पास नहीं लाए तो उसे जान से मार देगा. लोमड़ी कोई और चारा ना देख कर वापस गधे के पास पहुंच गई और गधे से बोली, गधे महाराज आप वहां से क्यों भाग गए.
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महाराज आपको देखकर अति उत्साहित और अति प्रसन्न हो गए थे इसलिए आपकी तरफ दौड़े ताकि आपको अपने गले लगा सके. आप भी डर कर भाग गए. अब आप ऐसा ना करें और मेरे साथ चलें गधा लोमड़ी की बातों में आ गया और दोबारा शेर के पास पहुंच गया. शेर ने उसे देखते ही अब की बार काम तमाम कर दिया लेकिन जब उसे खाने के लिए आगे बढ़ा तो लोमड़ी ने कहा महाराज इतनी क्या जल्दी है पहले आप स्नान करें और उसके बाद इस गधे का सेवन करें. शेर नहाने के लिए तालाब पर चला गया.
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लोमड़ी ने इसी बीच गधे का दिमाग खा लिया. जब शेर लौट के आया तो वह लोमड़ी पर नाराज हुआ कि उसके शिकार को किसने खाया. लोमड़ी ने जवाब दिया कि महाराज आपके हमले से गधे का सिर पर चोट लग गई. शेर ने देखा कि गधे का दिमाग गायब है तो फिर से उसने लोमड़ी से पूछा कि इसका दिमाग कहां है तो लोमड़ी ने जवाब दिया कि महाराज अगर गधे के पास दिमाग होता तो वह लौटकर दोबारा आपके पास थोड़ी ही आता. उस दिन से मशहूर हो गया कि गधे के पास दिमाग नहीं होता है.
Moral of the Story
शिक्षा: प्रतिभा से अधिक बड़ा पद मिले तो समझना चाहिए कि कोई मूर्ख बना रहा है.
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