Hindi Stories-Jatak katha- Brave Monkey |
जातक कथा— महान बंदर
Jatak katha- हिमालय के निर्जन पहाड़ पर एक बहुत ही विचित्र पेड़ फलित हुआ. जिसके फूल ऐसे सौरभ से युक्त थे जो वातावरण को पवित्र बनाते थे. उसका रंग इतना लाल की सूरज की लालिमा को मात करे और स्वाद ऐसा विलक्षण की पृथ्वी के किसी फल के स्वाद की तुलना उससे न की जा सके. ऐसे फूल के पेड़ का स्वामी एक ऐसा बंदर था, जो इस वृक्ष की तरह ही विलक्षण, बलवान और शौर्ययुक्त था.
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झुंड का वह सबसे प्रभावी बंदर था. झुंड के सभी बंदर उसे कपिराज कहा करते थे. कपिराज भी अपने झुंड की सुरक्षा के लिए सदैव तत्पर रहता. उसके रहते किसी जंगल के जीव की हिम्मत नहीं होती थी जो बंदरों के उस झुंड की तरफ आंख उठाकर देखे. बंदरों के झुंड को उस दैवीय फूल के रसास्वादन का लाभ मिलता था.
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कपिराज ने झुंड को हिदायत दे रखी थी कि गलती से कोई भी फूल नदी में नहीं गिरना चाहिए और वृक्ष की टहनी जो नदी की तरफ झुकी हुई थी, उस पर भी कोई फूल शेष नहीं रहना चाहिए. सभी बंदर इस बात का पूरा ध्यान रखते थे और इसी तरह लंबा समय बीत गया और सबकुछ कुशलपूर्वक चलता रहा.
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होनी को कौन टाल सकता है और एक समय ऐसा आया कि नदी की तरफ झुकी हुई टहनी में पत्तो के बीच छुपा एक फूल नदी में गिर गया और बहते हुए नगर के उस तट पर पहुंच गया जो रानियों के स्नान के लिए आरक्षित था.
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रानियां जब स्नान के लिए आई तो उस फूल के सुगंध से सम्मोहित हो गई. उन्होंने राजा से उस खुशबू के स्रोत को जानने की इच्छा जताई. सेवको ने जल्दी ही नदी में उस फूल को खोज निकाला, जिसकी खूशबू चारों ओर फैली हुई थी. राजा ने सेवको को तब यह पता लगाने के लिए कहा कि यह फूल कहां पाया जाता है.
अथक परिश्रम के बाद सेवको ने पता लगा लिया कि हिमालय की एक निर्जन पहाड़ी पर वह पेड़ पाया जाता है जहां यह विलक्षण फूल खिलता है. सेवको ने साथ में यह भी बताया कि उस पेड़ का स्वामी एक बंदर है जो बहुत ही बलिष्ठ है. राजा ने उस पेड़ पर अधिकार करने के लिए अपनी सेना के साथ आक्रमण किया.
सेना के तीरों से बंदरो के प्राण जाने लगे तो कपिराज ने बंदरों को वहां से जाने का आदेश दिया लेकिन रास्ते की पहाड़ी नदी ने उनका रास्ता रोक रखा था. कपिराज ने अपने साथियों की प्राण रक्षा के लिए खुद को एक पुल की तरह पहाड़ी और नदी के किनारों से पकड़ लिया और सारे बंदर उसके शरीर पर चलते हुए नदी पार कर गए.
इसी बीच उस बलिष्ठ बंदर को कई तीर लग गए. अपने साथियों के प्रति इस समर्पण को देखकर राजा का हृदय परिवर्तन हो गया और उसने कपिराज को तुरंत उपचार देने का कहा. कपिराज को श्रेष्ठ वैद्यो का उपचार मिला लेकिन तब तक देर हो चुकी थी और कपिराज ने अपने साथियों की प्राण रक्षा करते हुए अपने प्राण त्याग दिए थे.
Jatak katha with Moral
शिक्षा: अच्छा लीडर अपने साथियों के लिए अपनी जान की परवाह भी नहीं करता है.
Jatak meaning
The Jataka tales or we called it जातक in Sanskrit are a part of Buddhism literature in India In theses stories they claim an elaborate the previous births of Gautama Buddha in human and animal form. They Believe that in future Buddha may appear as a king, an outcast, a god, an elephant—but, in whatever form, he exhibits some virtue that the tale thereby inculcates. Often, Jataka tales or jatak katha wherever people in trouble the Buddha character intervenes to resolve all the problems and bring about a happy ending.
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