Folklore of India in hindi- भारत की लोक कथाएं-भैयादूज की लोककथा |
Indian folk tales in Hindi-भारत की लोक कथाएं-भैयादूज की लोककथा
लोककथा भारत के सभी अंचलों में सुनी सुनाई जाती है और पूरे भारत में थोड़े से फेल बदल और सांस्कृतिक भेद के साथ यह कथाए एक जैसी ही हैं. यहां नीचे दी गई लोककथा को हिन्दू त्यौहार के अवसर पर बहनों द्वारा सुनाया जाता है. कथा इस प्रकार है.
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एक बहन की शादी उसके घर वाले घर से बहुत दूर कर देते हैं. विवाह के समय उसका भाई बहुत छोटा होता है. विदाई के समय वह अपनी बहन को वचन देता है कि वह जब बड़ा हो जाएगा तो भाईदूज के अवसर पर उससे मिलने के लिए अवश्य आएगा. बहन अपने ससुराल विदा हो जाती है. काफी समय गुजर जाता है लेकिन भाई किसी भाईदूज को बहन से मिलने के लिए नहीं आता है.
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बहन कई भाईदूज बिना अपने भाई के ही मनाती है. एक समय तो ऐसा आता है कि ससुराल में ननदे अपनी भाभी को इस बात का ताना देने लगती है कि उसका भाई किसी भाई दूज पर नहीं आता है. व्यथीत बहन यह बात अपनी सखियों को बताती है कि इस बार भी भाईदूज आने वाला है और अगर इस बार भी उसका भाई नहीं आया तो उसे अपनी ननदों का ताना सुनना पड़ेगा. उसकी एक सखी उसे समझाती है कि उसका मायका बहुत दूर है और रास्ते में नदिया पड़ती है, जंगल है जिसमें जंगली जानवर रहते हैं. भला किस तरह तुम्हारा भाई तुम्हारे ससुराल आ सकता है.
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बहन अपने भाई को अपने घर बुलाने के लिए अगले ही दिन आंगन को गोबर से लिपती है और साफ जमीन पर जानवरों के तस्वीर बनाती है, नदियों को रेखांकित करती है. इसके बाद वह पूरे मनोयोग से सभी आकृतियों की पूजा करती है और नदियों से प्रार्थना करती है कि जब उसका भाई उससे मिलने के लिए आए तो उसको मार्ग दे देना. वह सभी जंगली जानवरों से प्रार्थना करती है कि जब उसका भाई उससे मिलने के लिए आए तो उस पर हमला न करना, बल्कि उससे दूर चले जाना.
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इस प्रकार वह एक—एक करके रास्ते में आने वाली सभी बाधाओं की पूजा करती है और उनसे प्रार्थना करती है कि वे उसके भाई का मार्ग न रोके. इस तरह भाईदूज आ जाता है और वह क्या देखती है कि सुबह—सुबह उसका भाई उसके दरवाजे पर खड़ा है. वह अपने भाई की आवभगत करती है और उससे पूछती है कि उसे आने में कोई तकलीफ तो नहीं हुई. उसका भाई बताता है कि उसकी यात्रा बहुत आरामदायक रही. जब वह नदी किनारे पहुंचा तो नदी पार करने का मार्ग स्वयं बन गया.
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रास्ते में जो भी जंगली जानवर मिले, सब उसे देखकर दूर हट गए. उसकी यात्रा इतनी आरामदायक रही कि मार्ग में उसके पांव में कोई कांटा तक न चुभा और न ही किसी कंकर ने उसे जख्मी किया. बहन को समझ आ गया कि उसकी पूजा स्वीकार हुई और सभी देवी—देवताओंं, नदियों और जानवरों ने उसकी प्रार्थना को स्वीकार किया है.
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