Jaishankar prasad desbhakti ki kavita in hindi |
Jaishankar prasad ki kavita in hindi—हिमाद्रि तुंग शृंग से प्रबुद्ध शुद्ध भारती
जयशंकर प्रसाद की कविता— स्वतंत्रता पुकारती
हिमाद्रि तुंग शृंग से प्रबुद्ध शुद्ध भारती
स्वयं प्रभा समुज्ज्वला स्वतंत्रता पुकारती
'अमर्त्य वीर पुत्र हो, दृढ़- प्रतिज्ञ सोच लो,
प्रशस्त पुण्य पंथ है, बढ़े चलो, बढ़े चलो!'
असंख्य कीर्ति-रश्मियाँ विकीर्ण दिव्य दाह-सी
सपूत मातृभूमि के- रुको न शूर साहसी!
अराति सैन्य सिंधु में, सुवाड़वाग्नि से जलो,
प्रवीर हो जयी बनो - बढ़े चलो, बढ़े चलो!
जयशंकर प्रसाद की कविता का अर्थ:
हिमाद्रि—हिमालय, तुंग—शिखर, शृंग— पशुओं के सिंग, प्रबुद्ध—बुद्धिमान, प्रभा—रोशनी, समुज्ज्वला— समान रूप से उज्ज्वल, अमर्त्य— जोर मर नहीं सकता, प्रशस्त—प्रशंसा योग्य, कीर्ति— प्रसिद्धि, रश्मियां— रोशनियां, विकीर्ण— छितराया हुआ, दाह— आग, अराति— शत्रु, सुवाड़वाग्नि— समुद्र को प्रकाशित करने वाली आग, प्रवीर— कुशल योद्धा, जयी—विजेता
Tags: jaishankar prasad ki kavita in hindi, jaishankar prasad awards in hindi, jaishankar prasad stories in hindi, jaishankar prasad kamayani, jaishankar prasad poems aansu, jaishankar prasad ke natak in hindi, jaishankar prasad ki bhasha shaili
सभी कविताओं की सूची के लिए क्लिक करें
यह भी पढ़िए:
यह भी पढ़िए:
No comments:
Post a Comment