Motivational Stories of Morarji Desai |
Motivational Story- मोरारजी देसाई का प्रेरक प्रसंग
परीक्षा
मोरारजी देसाई सिविल सर्विस परीक्षा के लिए साक्षात्कार दे रहे थे. साक्षात्कार के अंत में उनसे पूछा गया, "यदि आप चुने नहीं गए तो क्या आप उदास हो जाएंगे?"
मोरारजी देसाई का उत्तर था, "इसमें उदास होने की कोई बात नहीं है. अभी संसार के अनेक कार्य मेरे सम्मुख हैं."
मोरारजी देसाई को बिना किसी सिफारिश के चुन लिया गया.
कीर्ति-स्तंभ
जगदीशचंद्र बसु ने आपना सारा जीवन विज्ञान के सेवा में लगा दिया था. शुरू में पाश्चात्य जगत के वैज्ञानिकों ने उनकी प्रतिभा को पहचाना नहीं, परंतु सत्य कब तक छिपा रहा सकता है.
जब सारे विश्व में उनकी प्रतिभा परख ली तो अपने समय के महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने उनकी प्रशंसा में कहा, ‘‘ जगदीश बसु ने विज्ञान से संबंधित जो नवीन बातें हमारे सामने रखीं तथा जिन तथ्यों का उद्घाटन किया, उसमें से किसी एक के लिए भी उनका कीर्ति-स्तंभ स्थापित किया जा सकता है.
रूचि
एक लड़का फटी-पुरानी कमीज पहने, दो-तीन किताबें लिए कक्षा के बाहर खड़ा था. मास्टर जी चिल्लाए, ‘‘तुम फिर लेट आए हो. वापस चले जाओ!‘‘ करीब दो घंटे बाद उनकी नजर बाहर गई तो वह हैरान रह गए.
लड़का कहीं नहीं गया था और वह जो पढ़ा रहे थे, उसे ध्यान से सुन रहा था, जबकि कक्षा में बैठे बच्चे पढ़ने में इतनी रूचि नहीं ले रहे थे.
मास्टर जी ने उसे कक्षा में बुलाया और कहा, ‘‘बेटा, कक्षा के बाहर खडे़ होकर तुम पढ़ाई में जितनी रूचि ले रहे हो, उतनी रूचि तो कक्षा में बैठे छात्र भी नहीं ले रहे हैं.‘‘
वह बालक रोज सोलह किलोमीटर से पैदल चलकर पाठशाला जाता था. उन्हें आज देश के राष्ट्रपति के.आर.नारायणन के रूप में जाना जाता है.
Motivational Story - महात्मा गांधी का प्रेरक प्रसंग
कम-अधिक
महात्मा गांधी इंग्लैड की महारानी से मिलने अपनी चिर-परिचित छोटी-सी धोती और सादी चादर में गए थे. इस पर पत्रकारों ने उन्हें घेर लिया और पूछा, ‘‘महात्मा जी, आप महारानी से मिनले गए और वह भी इतने कम कपडे़ पहनकर! आपको बुरा नहीं लगा क्या?‘‘
महात्मा गांधी ने कहा, ‘‘इसमें बुरा लगने की क्या बात है? स्वयं महारानी ने ही इतने कपडे़ पहन रखे थे कि वे दोनों के लिए काफी थी.‘‘
Motivational Story - हरिवंशराय बच्चन का प्रेरक प्रसंग
शब्दों का जादू
चद्रशेखर और हरि बचपन के मित्र थ. बालक हरि कुछ न कुछ लिखते रहते थे, जो उनके सहपाठी चंद्रशेखर को पसंद नहीं था.
चंद्रशेखर कहते, "हरि, तुम क्या लिखते रहते हो?" और वह उसके लिखे शब्दों को मिटा देते.
एक दिन हरि बोले, "शेखर, तुम जिन शब्दों को शरारत समझकर मिटा रहे हो, याद रखना, एक दिन तुम इन्हीं शब्दों को पढ़ने के लिए तरसोगे."
इस बालक को आज हरिवंशराय बच्चन के नाम से जाना जाता है.
Motivational Story - होमी जहांगीर भाभा का प्रेरक प्रसंग
बुद्धि और नींद
होमी जहांगीर भाभा को बचपन में एक बड़ी विचित्र आदत थी. वह बहुत कम सोते थे. उन्हें नींद बहुत कम आती थी. इस बात से उनके माता-पिता काफी चिंतित रहते थे.
उन्होंने अनेक चिकित्सकों से बालक का परीक्षण करवाया. उन्हें डर था, कहीं नहीं कम आने के कारण उनका स्वास्थ्य खराब न हो जाए.
अंत में उन्होंने एक प्रसिद्ध मनोचिकित्सक से चैकअप करवाया. डाॅक्टर ने बताया कि बालक अत्यंत बुद्धिमान है. इसीलिए दिमाग हर समय कुछ न कुछ सोचता रहता है और नींद कम आती है.
आगे चलकर यह बालक महान वैज्ञानिक बना.
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