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dharmik kahani-Mahabharat Stories in hindi- महाभारत की कहानियां - शिशुपाल वध

श्री कृष्ण शिशुपाल वध

भगवान श्री कृष्ण द्वारा शिशुपाल वध की कथा महाभारत की लोकप्रिय कथाओं में से एक है. यह कथा मूल महाभारत के शिशुपाल वध द्वितीय सर्ग सभा पर्व में आती है. इस कथा के अनुसार चेदिराज के यहां एक विचित्र पुत्र का जन्म हुआ जिसके चार हाथ और तीन आंखे थी. उस का भयंकर रूप देखकर सभी लोग डर से थरथर कांपने लगे. 


शिशुपाल वध लीला

शिशुपाल के जन्म पर आकाषवाणी हुई जिसमें यह कहा गया कि यह परम प्रतापी और वीर होगा और जिसके गोद में जाने पर इसके दो अतिरिक्त हाथ और नेत्र समाप्त हो जायेंगे, उसी के हाथों उसकी मृत्यु होगी. शिशुपाल की माता भगवान कृष्ण की बुआ लगती थी क्योंकि वह वसुदेव की बहन थी. बुआ के यहां पुत्र रत्न की प्राप्ति होने पर बधाई देने के लिए कृष्ण और बलराम पहुंचे.

महाभारत में शिशुपाल वध

शिशुपाल जैसे ही कृष्ण की गोद में गया उसके दो हाथ और अतिरिक्त नेत्र झड़ गये. यह देखकर की उसकी माता यानी कृष्ण की बुआ भयभीत हो गई और उन्होंने कृष्ण से प्रार्थना की. भगवान कृष्ण ने उनकी बात को सुना और उन्हें वचन दिया कि वे शिशुपाल के ऐसे 100 अपराधों को क्षमा करेंगे जो उसकी मृत्यु जैसे अपराध से सम्बन्धित हो.


श्री कृष्ण द्वारा शिशुपाल वध

शिशुपाल जब बड़ा हुआ तो उसे कृष्ण की प्रसिद्धि और शौर्य से जलन होने लगी. वह समय-समय पर कृष्ण को नीचा दिखाने का प्रयास करता लेकिन कृष्ण उसकी माता को दिये गये वचन की वजह से उसे क्षमा कर देते. इससे शिशुपाल को यह भरोसा हो गया कि भगवान कृष्ण उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकते हैं.

शिशुपाल वध प्रथम सर्ग pdf

समय के साथ शिशुपाल की हिम्मत बढ़ती ही चली गई. इसी बीच पांडवों ने इन्द्रप्रस्थ की स्थापना के बाद राजसूय यज्ञ करने का फैसला लिया. इस यज्ञ में पूरे भारत वर्ष के राजाओं को निमंत्रण दिया गया. शिशुपाल को भी चेदिनरेश होने की वजह से यज्ञ में सम्मिलित होने का न्यौता दिया गया. 

शिशुपाल वध महाकाव्य pdf

यज्ञ समापन के दौरान भीष्म ने युधिष्ठिर को भगवान कृष्ण की अग्रपूजा करने का आदेश दिया. युधिष्ठिर ने जैसे ही भगवान कृष्ण को अग्रपूजा के लिए आमंत्रित किया, वैसे ही शिशुपाल नाराज हो गया और कृष्ण को भला-बुरा कहने लगा. उसने कृष्ण को ग्वाला कहा और अग्रपूजा के लिए उन्हें अपात्र बताने लगा. पांडवों और भीष्म ने उसे रोकने का प्रयास किया तो भगवान कृष्ण ने उन्हें रोक दिया और शिशुपाल को तब तक बोलने दिया जब तक उसके सौ अपराध पूरे नहीं हो गये.


शिशुपाल वध pdf

जैसे ही शिशुपाल के सौ अपराध पूरे हुये, भगवान कृष्ण ने शिशुपाल को चेतावनी दी और अपने सुदर्शन चक्र का आवाहन किया. सुदर्शन चक्र प्रकट हुआ और उसने शिशुपाल का सिर उसके धड़ से अलग कर दिया. इस तरह शिशुपाल का वध भगवान श्रीकृष्ण के हाथों हुआ. यज्ञ की समाप्ति के बाद कृष्ण ने शिशुपाल के पुत्र को चेदि राज्य का राजा बना दिया.

इसी घटना के दौरान सुदर्शन चक्र के प्रयोग के दौरान भगवान कृष्ण की अंगुली कट गई. द्रोपदी ने उनके रक्त को रोकने के लिए अपने आंचल को फाड़कर उस पर पट्टी बांध दी. भगवान कृष्ण ने द्रौपदी का आभार जताया और उन्हें आष्वासन दिया कि समय आने पर वे इस ऋण का भार जरूर उतारेंगे. जब द्रौपदी का चीरहरण हुआ उस वक्त भगवान कृष्ण ने उस अंगुली पर बंधे वस्त्र के बदले इतना वस्त्र अपनी माया से प्रकट किया कि दुशासन थक कर चूर हो गया लेकिन द्रौपदी को निर्वस्त्र नहीं कर पाया.  



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