जातक कथा- चांदी की नलिका का मूल्य
यह उस समय की बात है जब बोधिसत्व ने एक काशी में एक अर्घकारक के रूप में काम करना शुरू किया. उस वक्त वे राज्य में आने वाले व्यापारियों के वस्तुओं का मूल्य लगाया करते और वह इतना सही होता कि हरेक व्यापारी खुश होता और राजकोष को भी फायदा होता.
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समय के साथ काशी का राजा ज्यादा लोभी होता चला गया. उसने सोचा कि अगर यह अर्घकारक इसी तरह सही मूल्य लगाता रहा तो राजकोष उसके जीवन भर में भी नहीं भर पाएगा. उसने सोचा कि अगर किसी लोभी और मूर्ख व्यक्ति को यह काम दे दिया जाए तो ज्यादा फायदा होगा.
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एक दिन राजा को अपनी जरूरत के हिसाब से मूर्ख और लोभी व्यक्ति मिल भी गया. राजा ने बोधिसत्व के स्थान पर उस व्यक्ति को नगर का अर्घकारक नियुक्त कर दिया. कुछ ही दिनों में नगर में हाहाकार मच गया और व्यापारी काशी आने से कतराने लगे.
अरब के एक व्यापारी को अभी तक इस नये अर्घकारक के बारे में पता नहीं चला था सो वह अपने बेहतरीन 500 घोड़ों के साथ काशी आया और अर्घकारक से उनका मूल्य लगाने के लिए बोला. अर्घकारक ने उन 500 घोड़े के मूल्य के बदले अपने कान साफ करने वाली चांदी की नलिका से लगा दिया.
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व्यापारी यह देखकर दुखी हो गया आखिर में थकहारकर वह बोधिसत्व के पास पहुंचा. बोधिसत्व ने उसकी परेशानी सुनी और उसे उपाय बताया कि नया अर्घकारक बहुत लोभी है और उसे रिश्वत देकर कुछ भी करवाया जा सकता है. आप उसे रिश्वत दें और उससे इस चांदी की नलिका का मूल्य काशी के राज्य के बराबर निर्धारित करवा लें.
व्यापारी ने ऐसा ही किया. इस काम के पूरा हो जाने के बाद उसने व्यापारी को वह चांदी की नलिका लेकर राजा के पास जाने को कहा और उनसे इस चांदी की नलिका का मूल्य मांगने को कहा. राजा के पहुंचकर जब व्यापारी ने चांदी की नलिका का मूल्य मांगा तो उसके मूल्य निर्धारण के लिए उसी लोभी अर्घकारक को बुलाया गया.
अर्घकारक ने उस चांदी की नलिका के बदले काशी की बारह योजन भूमि देने का मूल्य निर्धारण किया. उस समय काशी नगर बारह योजन में ही फैला हुआ था. राजा को समझ में आ गया कि मूर्ख का साथ नाश का कारण होता है. उन्होंने बोधिसत्व को बुलाया और उन्हें दोबारा अर्घकारक का काम दे दिया गया.
jatak meaning
The Jataka tales or we called it जातक in Sanskrit are a part of Buddhism literature in India In theses stories they claim an elaborate the previous births of Gautama Buddha in human and animal form. They Believe that in future Buddha may appear as a king, an outcast, a god, an elephant—but, in whatever form, he exhibits some virtue that the tale thereby inculcates. Often, Jataka tales or jatak katha wherever people in trouble the Buddha character intervenes to resolve all the problems and bring about a happy ending.
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