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पंचतंत्र की कहानियां- बातुनी कछुआ

एक तालाब मे एक कछुआ रहा करता था. उसे बहुत ज्यादा बोलने की आदत थी. तालाब के बाशिंदे उसके बोलने की वजह से उससे दूर भाग करते थे. एक बार जब वह बोलना शुरू कर देता था तो चुप होने का नाम ही नहीं लेता था. तालाब में उसका कोई मित्र उसके बात करने की बीमारी की वजह से उसके पास नहीं फटकता था.

कुछ समय बाद उस तालाब में रहने के लिए दो बगुले आए. कछुए ने उनसे भी मित्रता कर ली. आए दिन वह अपनी बातों से उन दोनों को परेशान किया करता था. पहले पहल तो बगुलों को परेशानी हुई लेकिन बाद में वे समझ गए कि अधिक बोलना उस कछुए की बीमारी है और उसका मन साफ है. दोनो बगुले उस कछुए के अच्छे मित्र बन गए.

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समय गुजरता गया और एक साल ऐसा आया जब भयंकर अकाल पड़ा. तालाब के सारे पक्षी उड़कर दूसरे देश जाने लगे. बगुलो ने भी तालाब को छोड़कर दूसरी जगह जाने का फैसला लिया. जाने से पहले वे अपने मित्र कछुए से विदा लेने के लिए पहुंचे तो कछुआ रूआंसा हो गया. उसने कहा कि मित्रों आप तो उड़कर चले जाओगे लेकिन आपका यह मित्र पानी के अभाव में यहीं मर जाएगा.

बगुलों ने कहा ​कि किया भी क्या जा सकता है क्योंकि तुम्हारी चाल भी बहुत धीमी है और तुम्हारी गति से चलकर जाने में हमारे प्राण भी निकल जाएंगे. तुम्हारे पास कोई उपाय है तो बताओ हम तुम्हारी पूरी मदद करने की कोशिश करेंगे.

कछुए ने कहा कि यदि दोनो बगुले उसका सहयोग करें तो उसके पास एक उपाय है. यदि दोनो बगुले अपने चोंच में एक लकड़ी पकड़ लें और कछुआ उस लकड़ी को बीच से अपने मूंह से पकड़ लेगा और उनके साथ दूसरे देश उड़ चलेगा. बगुलों को विचार पसंद आया लेकिन उन्होंने कहा कि कछुआ भाई तुम्हें अधिक बोलने की बीमारी है. अगर तुमने कहीं बीच आसमान में अपना मूंह खोल दिया तो बेवजह मारे जाओगे.

कछुए ने कहा कि वह कोई पागल थोड़े ही है जो ऐसा करेगा. फिर क्या था बगुलों ने एक लकड़ी के सहारे कछुए को हवा में उठा लिया. जब वे एक शहर पर से गुजर रहे थे तो लोगो ने देखा कि दो बगुले एक कछुए को एक डंडी के सहारे उड़ाए ले जा रहे हैं. लोगों के लिए आश्चर्य की बात थी.

इस दृश्य को देखकर वे हल्ला मचाने लगे तो कछुए को गुस्सा आ गया. थोड़ी देर तो उसने संयम रखा लेकिन फिर उससे न रहा गया. उसने लोगों को डांटने के लिए अपना मूंह खोला और निचे गिरकर उसके प्राण पखेरू उड़ गए. बगुलों को अपने मित्र के अकाल मृत्यु पर अफसोस हुआ.

Moral of the Story

शिक्षा: बेवजह और गलत समय पर बात करने पर हानि उठानी पड़ती है.

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