सिंदबाद की कहानी sinbad the sailor story summary in hindi
सिंदबाद की कहानियां विश्व विख्यात अरबी उपन्यास अलिफ लैला का हिस्सा है. अलिफ लैला में फारस का बादशाह शाहजमां अपनी बेगम की बेवफाई की वजह से नाराज हो जाता है और रोज रात को एक औरत से निकाह कर उसे शहीद कर देता था. उसके इस जुल्म को रोकने का जिम्मा शहरजाद नाम की एक लड़की उठाती है. निकाह के पहले ही रात से वह बादशाह को किस्सा सुनाना शुरू करती है और सुबह किस्से को ऐसे मोड़ पर छोड़ देती है कि बादशाह उसका कत्ल नहीं कर पाता है. ऐसे ही कहानियों का सिलसिला शुरू हो जाता है और शहरजाद के लिए बादशाह के मन में प्रेम पैदा हो जाता है. इन्हीं कहानियों की श्रृंखला में सिंदबाद की कहानी भी आती है.
सिंदबाद नाविक की कहानी sinbad the sailor story in hindi pdf
बगदाद में सिंदबाद नाम का एक अमीर आदमी रहता था. उसे पिता से विरासत से ढेर सारी दौलत मिली थी लेकिन मुफ्त में मिले धन का वह मोल नहीं समझता था और उसे लुटाता था. एक समय ऐसा आया कि उसके पास सारा धन समाप्त हो गया और वह दाने—दाने को मोहताज हो गया. आखिर में उसने फैसला लिया कि वह व्यापार करने के लिए दूर देश जाएगा और ढेर सारा पैसा कमाएगा. उस वक्त नाविक बन कर व्यापार करना सबसे हिम्मत का काम हुआ करता था. उसने अपना सारा माल—असबाब बेचा और एक नाव पर व्यापार करने के लिए सवार हो गया. इस तरह सिंदबाद एक नाविक बन गया और उसने विचित्र यात्राएं की. सिंदबाद ने अपने जीवन में कुल 7 यात्राएं की.
सिंदबाद नाविक की पहली यात्रा sindbad jahazi in hindi
सिंदबाद नाव पर सवार हो गया और कई दिनों तक वे समन्दर पर तैरते रहे. उन्हें दूर—दूर तक कोई जमीन दिखाई नहीं दी. सिंदबाद की पहली यात्रा थी इसलिए उसे समन्दर की ज्यादा आदत नहीं थी. उसे लगा कि काश की जल्दी से जमीन दिखाई दे और इस हिलते—डुलते जहाज से उसे मुक्ति मिले.
थोड़ी ही देर में उसे एक जमीन का टुकड़ा दिखाई दिया. लोग खुश हो गये और जहाज को रोककर उस पर उतर गए. सिंदबाद ने वहां खाना बनाने की तैयारी शुरू की और जैसे ही आग जलाई जमीन हिलने लगी. तभी उन्हें मालूम हुआ कि वह जमीन का टुकड़ा नहीं बल्कि एक बहुत बड़ी मछली की पीठ है. सभी नाविकों को तैरना आता था वे समन्दर के पुराने खिलाड़ी थे लेकिन सिंदबाद नया था और तैरना भी अच्छी तरह नहीं जानता था. इस वजह से वह पाल उठने तक नाव तक नहीं पहुंच सका. मछली के गोते की वजह से समन्दर में तूफान आ गया और सिंदबाद को अपने में समेट लिया.
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सिंदबाद के साथियों ने सोचा कि सिंदबाद समन्दर में डूब गया लेकिन सिंदबाद के हाथ एक लकड़ी का लट्ठ आ गया जिसे पकड़ कर वह डूबने से बच गया. एक दिन और एक रात वह उसे पकड़े तैरता रहा. आखिर में वह एक द्वीप के किनारे पहुंच गया और जैसे तैसे जान बची. उस जगह उसने एक घोड़ी को बंधा देखा तो सोचा कि यहां आदमी रहते हैं. वह थोड़ा आगे बढ़ा तो एक गुफा में उसे घोड़े के सईस मिले जिन्होंने बताया कि इस द्वीप पर जादूई दरिआई घोड़े रहते हैं और इस घोड़ी को गाभिन करवाने के लिए यहां बांधा गया है ताकि इसके बच्चे भी जादुई हो और शाही परिवार उनकी सवारी करें.
यह सुनकर सिंदबाद के आश्चर्य का ठिकाना न रहा. उसने सच में ऐसा होते देखा. बादशाह के सईस उसे लेकर बादशाह के पास पहुंचे तो सिंदबाद को बादशाह ने अपनी सेवा के लिए रख लिया. इसी बीच सिंदबाद को ऐसे द्वीप के बारे में पता चला जहां सौ—सौ हाथ की मछलियां रहा करती थी और वहां हमेशा ढोल की आवाज सुनाई पड़ती थी. सिंदबाद ने उस विचित्र द्वीप की यात्रा भी की. संयोग से कुछ समय बाद सिंदबाद का जहाज उसी शहर में व्यापार करने आ गया जिस पर सिंदबाद ने यात्रा शुरू की थी.
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जहाज के कप्तान ने सिंदबाद को पहचान लिया और उसे जिंदा रहने की बधाई दी और उसका सारा सामान लौटा दिया जिसे बेचकर सिंदबाद ने बड़ी रकम कमाई और अपने शहर बगदाद लौट गया. इस तरह सिंदबाद जहाजी की पहली यात्रा पूरी हुई.
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