hindi ki kahani, kahani in hindi, kahani hindi me, hindi story, hindi song, hindi kahani download, kahani hindi mai, hindi prem kahani, story in hindi, kahaniya hindi, hindi khani, kahani for child in hindi, kahani hindi mai, hindi kahani cartoon, bolti kahani

Full width home advertisement


Premchand Stories

Love Stories

Post Page Advertisement [Top]


religious hindi kahani, कथा सागर, ज्ञान वाली कहानी, धार्मिक विचार, पौराणिक कहानियाँ,

महाभारत की कहानियां—लाख का घर 

ज्ञान वाली कहानी, धार्मिक विचार, पौराणिक कहानियाँ, कथा सागर, पौराणिक कथाएं,  धार्मिक स्थल,  भारतीय पौराणिक कथा

महाभारत की कहानियों में यह कथा सबसे ज्यादा कही सुनी जाती है. युधिष्ठिर की लोकप्रियता दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही थी. प्रजा अब जल्दी से जल्दी यु​धिष्ठिर को राजा के रूप में देखना चाहती थी. पांडवों की बढ़ती लोकप्रियता से दुर्योधन बहुत परेशान था और कोई ऐसी युक्ति निकालना चाहता था जिससे पांडवों की हत्या की जा सके. कर्ण ने इसका विरोध किया और पांडवों से सीधे युद्ध का प्रस्ताव रखा लेकिन दुर्योधन जानता था कि पांडवों से सीधे युद्ध में जीतना संभव नहीं है. उसने अपने धूर्त मामा शकुनी से उपाय बताने को कहा.

mahabharat katha hindi pdf

शकुनी ने अपने धूर्त दिमाग से एक विचार दुर्योधन को बताया कि वह किसी न किसी बहाने खांडवप्रस्थ में लगने वाले मेले में पांडवों को भिजवा दे. वहां पर उनके रूकने के लिए जो भवन बनाया जाएगा वह लाख का होगा. जिसमें एक चिंगारी से ऐसी आग लगेगी कि सब कुछ जल कर भस्म हो जाएगा. दुर्योधन को यह विचार पसंद आया. इस कार्य के लिए उसने अपने विश्वासपात्र पुरोचन को चुना जो भवन निर्माण का माहिर था. वह तत्काल खांडवप्रस्थ रवाना हो गया.

mahabharat story in hindi pdf

दुर्योधन ने अपने पिता धृतराष्ट्र को इस बात के लिए राजी कर लिया कि वह पांडवों को खांडवप्रस्थ जाने का आदेश दे. धृतराष्ट्र पुत्रमोह में अंधे हो चुके थे. उन्होंने दुर्योधन की इस बात को स्वीकार कर लिया. विदुर को इस बात का पता चल गया कि दुर्योधन पांडवों के खिलाफ कोई षड़यंत्र रच रहा है. उन्होंने खांडवप्रस्थ रवाना होने से पहले यु​धिष्ठिर को कूट भाषा में एक संदेश दे दिया जिसमें उन्हें अग्नि से सावधान रहने के लिए कहा गया था.

mahabharat katha download

पांडवों के पहुंचने से पहले पुरोचन ने एक सुंदर लाख के भवन का निर्माण करवाया. पांडवों के आने के बाद उनका स्वागत सत्कार किया गया. उन्हें उस भवन में ठहराया गया. पांडव विदुर जी के संदेश की वजह से सावधान थे. युधिष्ठिर के आदेश पर रात में बारी—बारी से कोई न कोई पांडव जाग कर पहरेदारी करता. पुरोचन को इस वजह से भवन में आग लगाने का मौका नहीं मिलता. विदुर ने इस बीच एक ​खनिक को युधिष्ठिर के पास भेजा.

mahabharata story in hindi

उस खनिक ने भवन से लेकर जंगल तक एक सुरंग का निर्माण कर दिया ताकि आग लगने की स्थिति में पांडव उस सुरंग के रास्ते सुरक्षित रूप से बाहर निकल सकें. जब सुरंग का काम पूरा हो गया तो युधिष्ठिर ने एक उत्सव का आयोजन किया. उस उत्सव में पूरे नगर को आमंत्रित किया गया. सारा नगर देर रात तक उत्सव मनाता रहा. रात में पुरोचन जब शराब पीकर सो रहा था तो पांडवों ने भवन में आग लगा दी.

सारा भवन जल कर राख हो गया. हस्तिनापुर की प्रजा को जब यह पता लगा कि पांडव जल कर भस्म हो गए हैं तो सारा शहर शोक में डूब गया. सब दुर्योधन पर इसका लांछन लगाने लगे. पांडव तो सुरंग के रास्ते बाहर निकल चुके थे. विदुर जी ने युधिष्ठिर को सलाह दी कि समय अनुकूल होने तक छिप कर रहना ही बेहतर है नहीं तो दुर्योधन उनको फिर से मारने की चेष्टा कर सकता है.

विदुर ने पितामह भीष्म को इस बारे में थोड़ा बहुत बताया ताकि वे शोक के भंवर से बाहर निकल सके. इधर पांडव उस भवन से निकल कर जंगल में मारे—मारे फिरने लगे. पांडवों के लिए यह बुरा समय था. लाक्षागृह की घटना की वजह से अब वे हस्तिनापुर के महल में किसी पर विश्वास नहीं कर सकते थे इसलिए उन्होंन लौटना ठीक नहीं समझा. उधर धृतराष्ट्र ने दुर्योधन को हस्तिनापुर का युवराज घोषित कर दिया.

सभी कहानियों की सूची के लिए क्लिक करें

यह भी पढ़िए:
पंचतंत्र की कहानियां

No comments:

Post a Comment

Bottom Ad [Post Page]