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जातक कथा— खरगोश की दानशीलता

जातक कथा में यह कथा दान पर आधारित है. वाराणसी नगर में इस बार बोधिसत्व ने एक खरगोश के रूप में जन्म लिया. उसके तीन मित्र बंदर, सियार और उदबिलाव बने. चारों मित्र बोध ज्ञान के लिए जिज्ञासु थे. इसी बीच बौद्धों का एक बड़ा त्यौहार उपोसथ आया. उपोसथ के दिन को लेकर मान्यता है कि जो इस दिन पूरे श्रद्धा से निर्विकार भाव से दान करता है, वह बोधिसत्व को प्राप्त होता है. 

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चारों मित्रों ने इस अवसर को भुनाने के लिए परम दान देने का संकल्प लिया. उदबिलाव ने इसके लिए सात स्वर्ण मछलियां पकड़ी और इन्हें ही दान में देने का निश्चय किया. बंदर ने बाग से सबसे स्वादिष्ट फल चुने और इन्हें दान में देने का निश्चय किया. 

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सियार ने अपने शिकार के मांस को दान देने का निश्चय किया ताकि किसी भूखे का पेट भर सके. खरगोश ने सोचा कि सिर्फ भोजन दान में देने से किसी का कितना भला हो सकता है. आखिर में वह निर्णय पर पहुंचा कि वह स्वयं को ही दान में दे देगा.

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खरगोश के स्वयं को ही दान देने के निर्णय से इन्द्र का सिंहासन डोल उठा. इन्द्र को जब इसका कारण पता चला तो उन्होंने चारों मित्रों की परीक्षा लेने का निश्चय किया. 

वे बारी—बारी से चारों मित्रों के पास गए. उदबिलाव ने उन्हें स्वर्ण मछलियां देने का प्रयास किया तो उन्होंने कुछ और कीमती चीज मांगी. उदबिलाव ने उन्हें कुछ और दान में देने से मना कर दिया. यही बात सियार और बंदर के साथ भी हुई.

इन्द्र जब खरगोश के पास पहुंचे और उनसे दान मांगा तो खरगोश ने स्वयं को दान देने के लिए प्रस्तुत कर दिया. इन्द्र ने अग्नि प्रज्वलित की और उसमें खरगोश को कूदने के लिए कहा. खरगोश बने बोधिसत्व ने बिना किसी झिझक के आग में छलांग लगा दी लेकिन आग ने खरगोश को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया क्योंकि यह इंद्र द्वारा लगाई गई मायावी आग थी. 

इंद्र ने खरगोश को उठाया और उसकी आकृति चंद्रमा पर उकेर दी और खरगोश को वरदान दिया कि इस आकृति की वजह से खरगोश की दानशीलता को तब तक याद रखा जाएगा जब तक आकाश में यह चंद्रमा जगमगा रहा है. तब से हरेक पूर्णिमा के दिन चांद में खरगोश की आकृति नजर आने लगी.

Jatak katha with Moral

शिक्षा: दान का अर्थ अपनी सबसे प्यारी चीज का त्याग करना होता है. 

Jatak meaning

The Jataka tales or we called it जातक in Sanskrit are a part of Buddhism literature in India In theses stories they claim an elaborate the previous births of Gautama Buddha in human and animal form. They Believe that in future Buddha may appear as a king, an outcast, a god, an elephant—but, in whatever form, he exhibits some virtue that the tale thereby inculcates. Often, Jataka tales or jatak katha wherever people in trouble the Buddha character intervenes to resolve all the problems and bring about a happy ending.

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