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Story of Bal Krishna-कृष्ण की बाल लीला-कृष्ण का जन्म

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कृष्ण की बाल लीला-कृष्ण का जन्म

भगवान कृष्ण का जन्म बहुत ही रोचक किस्सा है. मथुरा में राजा उग्रसेन का राज्य था, वे बहुत ही प्रजावत्सल और दयालु राजा थे. उनका पुत्र कंस उनके विपरीत बहुत क्रूर और दुष्ट था. एक समय ऐसा आया कि उसने अपने पिता उग्रसेन को बंदी बना लिया और स्वयं मथुरा का राजा बन गया.

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कंस की एक बहिन थी, जिनका नाम देवकी था. कंस ने अपने अभिन्न मित्र वासुदेव से उनका विवाह कर दिया. जव कंस अपनी बहन को विदा कर रहा था तो भविष्यवाणी हुई कि देवकी का आठवां पुत्र कंस का वध करेगा. यह सुनते ही कंस ने देवकी और वसुदेव को कारागार में डलवा दिया. जैसे ही उनकी कोई संतान होती, वह उस जेल की दीवार पर उसका सर पटक कर उसकी हत्या कर देता. इस तरह देवकी के सात पुत्रों की हत्या कर दी गई.

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जब देवकी को आठवां पुत्र होने को हुआ तो चमत्कार हुआ. घनघोर बारिश होने लगी और तूफान आने लगा. घनघोर अंधेरा छा गया. इसी बीच विष्णु के सोलहवें अवतार कृष्ण ने कंस के कारागार में जन्म लिया. कृष्ण के जन्म लेते ही सारे सिपाही मुर्छित हो गए. वसुदेव अपनी बेड़ियों से आजाद हो गए और कारागार के सारे दरवाजे खुल गए. वसुदेव को समझ में आ गया कि यह भगवान कृष्ण की बाल लीला है. 

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कन्हैया को एक टोकरी में डालकर उन्होंने अपने सिर पर उठा लिया और अपने मित्र नंद के यहां जाने के लिए निकल पड़े. नंद अपने गांव के राजा थे. गांव वृंदावन में था और रास्ते में यमुना नदी पड़ती थी. बरसात की वजह से यमुना पूरे उफान पर थी.

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वसुदेव कृष्ण को अपने सिर पर उठाए यमुना में उतर गए. अपने प्रभु के चरण स्पर्श करने के लिए यमुना ऊपर उठने लगी. वसुदेव के नाक तक पानी चढ़ आया. भगवान जानते थे कि यमुना उनके चरण स्पर्श किए बिना नहीं मानेंगी तो भगवान ने अपने पैर टोकरी से बाहर निकाल दिए. यमुना ने अपने जल से बाल कृष्ण के पैरो का प्रक्षालन किया और फिर एकदम से पानी उतरने लगा और वसुदेव भगवान कृष्ण को लेकर नंद गांव आ गए. 

जब वसुदेव नंद के घर पहुंचे तो उन्हें पता लगा कि नंद की पत्नी को प्रसव हो रहा है और उन्हें एक पुत्री रत्न की प्राप्ति हुई है. वसुदेव ने सारी कथा नंद को सुनाई और उनसे अनुरोध किया कि वे कंस के संहारक भगवान कृष्ण को अपने यहां शरण दे. नंद इसके लिए सहर्ष राजी हो गए. बदले में उन्होंने अपनी पुत्री वसुदेव को दे दी ताकि कंस को यह बताया जा सके कि देवकी को पुत्र नहीं पुत्री हुई है.

वसुदेव नंद की पुत्री को लेकर कारागार में लौट आए. कंस को जब पता लगा कि देवकी को पुत्री हुई है तो वह आया और उनसे छीनकर उसे दीवार पर दे मारा लेकिन तभी चमत्कार हुआ और वह पुत्री देवी में बदल गई और कंस को कहा कि उसको मारने वाला गोकुल में जन्म ले चुका है.


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