Folk tales of India in hindi- भारत की लोक कथाएं-मेहमान और पापड़ |
Indian folk tales in Hindi-भारत की लोककथाएं-बुंदेली लोककथा मेहमान और पापड़
लोककथा भारत के हर हिस्से में कही सुनी जाती है. ये लोककथाएं न सिर्फ रोचक होती है बल्कि उस क्षेत्र की संस्कृति और साहित्य की प्रतिनिधि भी होती है. यहां हम बुंदेलखण्ड में कही जाने वाली एक रोचक और हास्य से भरपूर लोककथा प्रस्तुत कर रहे हैं. अगर आप के पास भी कोई रोचक कथा है तो हमें जरूर भेजें, हम उसे आपके नाम के साथ अपने ब्लॉग पर प्रकाशित करेंगे:
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लोककथा के अनुसार एक बार एक बुंदेलखण्डी परिवार में एक मेहमान आता है. मेहमान भी कोई ऐसा—वैसा नहीं बहुत खासम—खास. बुंदेलखण्डी अपनी मेहमान नवाजी के लिए जाने जाते हैं. उनका प्रयास होता है कि अपने मेहमान को स्वादिष्ट से स्वादिष्ट भोजन करवाए और उसकी पूरी आवभगत करें. इसी प्रयास में यह परिवार लग गया.
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मेहमान को भी पता था कि परिवार के लोग बहुत भले हैं और उसका बहुत ख्याल रखेंगे. मेहमान ने भी परिवार को बता दिया कि वह आज यही रूकेगा और विश्राम करेगा. बुंदेलखण्ड का मेहमान सीधे—सीधे कैसे कह दे कि भाई, आज रात का भोजन मैं आपके यहां ही करूंगा. मेहमान इशारों में अपनी बात कहने में माहिर था. परिवार तुरंत समझ गया कि आज रात के लिए उसे मेहमान के भोजन का इंतजाम करना है.
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परिवार की बहु ने मेहमान के लिए बहुत से स्वादिष्ट पकवान बनाए. मेहमान से उनकी खाने की पसंद की चीजों की फेरहिस्त पूछी गई और उन सभी पकवानों को बड़े जतन से बनाया गया. मेहमान ने बताया कि उसे खाने में पापड़ बहुत पसंद है. खाने में उसे पापड़ से ज्यादा स्वादिष्ट चीज कोई लगती ही नहीं है. इसके अलावा भी उसने कई और पकवानों के नाम बताए. घर वाले मेहमान की पसंद की चीजे बनाने में जुट गए और रात घिरने से पहले रसोई बन कर तैयार हो गई.
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रात को मेहमान को खाने के लिए आमंत्रित किया गया. बड़े जतन से उसके आगे थाली लगाई गई. उसकी थाली में भांति—भांति के पकवान परोसे गए. घर का मुखिया वहां बैठा और मेहमान से खाने के लिए अनुरोध करने लगा. मेहमान ने देखा कि थाली में खीर, पूड़ी, कई सब्जियां, रायता, सलाद और मिठाई है लेकिन ये लोग पापड़ रखना भूल गए. पापड़ की भरी हुई थाली थोड़ी दूर पर उसके सामने रखी हुई थी लेकिन उसे परोसना भूल गए.
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मेहमान ने सोचा कि शायद थोड़ी देर में इन लोगों को याद आ जाए कि वे मेहमान को पापड़ देना तो भूल ही गए हैं. ये सोच कर मेहमान ने खाना शुरू कर दिया लेकिन उसे किसी ने पापड़ के लिए नहीं पूछा. मेहमान का मन तो उस पापड़ वाली थाली में ही अटका हुआ था. उसे लग रहा था कि वे दुनिया के सबसे स्वादिष्ट पापड़ है लेकिन मेहमान होने के नाते वह मांग नहीं सकता था. भला ये अच्छा लगता कि सामने पकवानों से भरी थाली पड़ी हुई है और वह मामूली पापड़ के लिए अपना मान घटाए. मेहमान धीरे—धीरे खाने लगा लेकिन पापड़ नहीं परोसा गया.
मेहमान को लगा कि अब तो पापड़ खाने के लिए कोई जुगत ही भिड़ानी होगी कि पापड़ मांगना ही न पड़े और खाने को मिल जाए. मेहमान ने बात शुरू की. भैया तुम समझो की बस कल मेरी जान ही बची है, ईश्वर की कृपा ही है कि आज मैं तुम्हारे सामने बैठकर भोजन कर रहा हूं नहीं तो मैं तो कल ही मर जाने वाला था.
परिवार के मुखिया ने मेहमान से पूछा कि ऐसी क्या बात हो गई थी. मेहमान बताने लगा कि जब वह उसके घर आ रहा था तो रास्ते में एक जंगल पड़ा. जब वह जंगल से गुजर रहा था तभी एक बहुत लंबा सांप उसके सामने आ खड़ा हुआ. इतना लंबा सांप की क्या बताऊं. बस समझ लो यहां से लेकर उन पापड़ों की थाली तक उसकी लंबाई थी. ऐसा बोलकर मेहमान ने पापड़ो की थाली की ओर इशारा किया.
पापड़ों की थाली देखते ही परिवार को याद आ गया कि वे मेहमान को पापड़ देना तो भूल ही गए. मेजबान परिवार ने कहा, ये लो हम तो बातों में पापड़ परोसना ही भूल गए. मेहमान बोला कोई बात नहीं, इतने स्वादिष्ट पकवानों के आगे पापड़ की क्या बिसात है? परिवार ने उसकी मनुहार कि की आपको एक पापड़ तो लेना ही होगा. मेहमान ने कहा अगर आप इतना जोर दे ही रहे हैं तो थाली ही यहां लाकर रख दीजिए.
मेहमान ने अपनी युक्ति से पापड़ भी खा लिए और अपनी इज्जत भी बचा ली.
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