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लव कुश की कहानी-लव कुश का युद्ध-luv kush birth story in hindi

लव कुश का जन्म एक असाधारण घटना थी. भारत के सम्राट और अयोध्या के राजकुमार लव कुश महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में माता सीता के संरक्षण में बड़े हो रहे थे. रावण वध के बाद अयोध्या लौटने पर पर राम ने सीता का त्याग कर दिया था, जब यह घटना हुई तब सीता गर्भवती थी. लक्ष्मण उन्हें महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में छोड़ दिया. नियति को यही मंजूर था. लव और कुश की कहानी आगे नहीं बढ़ती अगर वे इतने वीर नहीं होते कि भारतवर्ष का कोई भी योद्धा उन्हें जीतने में सक्षम न था.

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लव और कुश को अपने पिता के समान ही धनुर्विद्या में रूचि थी और महर्षि वाल्मीकि ने उनकी शिक्षा का उचित प्रबंध किया था. दोनो बालक मेधावी थे और ​शस्त्र तथा शास्त्र की विद्या को सिद्धहस्त करने में जहां दूसरे लोगों को जीवन लग जाता है, किशोरवय तक आते—आते दोनों वीर पराक्रमी और प्रकाण्ड विद्वान बन गए.

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लव और कुश आश्रम में बड़े हो रहे थे और वे इस बात को नहीं जानते थे कि अयोध्या के राजा राम उनके पिता है और उनकी माता जानकी ही उनकी पत्नी सीता है. महर्षि वाल्मीकि जी लव कुश को राम कथा सुनाया करते लेकिन उन्होंने दोनों कुमारों को कभी यह नहीं बताया कि वे किसी प्रतापी पिता के पुत्र हैं.

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राम जी को अयोध्या में शासन करते हुए समय बीत गया तो महर्षि वशिष्ट ने उन्हें अश्वमेघ यज्ञ करने का विचार दिया. राजा राम को चक्रवर्ती सम्राट बनाने के लिए अयोध्या वासियों ने भव्य यज्ञ का आयोजन किया और एक सुंदर अश्व को इस पट्टिका के साथ छोड़ा गया कि यह अश्व जहां से होकर गुजरेगा उसे अयोध्या की अधीनता स्वीकार करनी होगी और ​जो इस अश्व को पकड़ने का प्रयास करेगा, उसे अयोध्या की सेना से युद्ध करना होगा.

अश्व की रक्षा के लिए शत्रुघ्न जी के साथ अक्षौहणी सेना को भेजा गया जो अश्व के पीछे—पीछे चलती थी. वह अश्व घूमते—घूमते महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में पहुंच गया और कुमारो ने उस अश्व को देखा. उसकी पट्टिका पर लिखी चुनौती देखकर कुमारो ने अयोध्या की अधीनता को अस्वीकार किया और अश्व को पकड़कर आश्रम के ही एक वृक्ष से बांध दिया. शत्रुघ्न जी के पास यह समाचार पहुंचा कि महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में किसी ने अश्व को पकड़ लिया है तो वे क्रोधित हो गए.


लव कुश अपने तीर वाण लेकर इस बात का ही इंतजार कर रहे थे कि कोई सेना युद्ध करने के लिए आएगी. तभी उन्हें शत्रुघ्न जी सेना के साथ आते हुए दिखाई दिए. जब शत्रुघ्न जी ने दो बालको को अश्व के साथ देखा तो उन्हें लगा कि बालको ने खेल—खेल में अश्व को पकड़ लिया है. उन्होंने लव कुश से परिचय पूछा और उनसे अश्व छोड़ने के लिए कहा तो लव कुश ने उत्तर दिया कि अगर उन्हें अश्व चाहिए तो उन्हें युद्ध करना होगा. बहुत समझाने पर भी जब लव कुश नहीं माने तो उन्होंने दोनों बालको से युद्ध करना प्रारंभ कर दिया. 

शत्रुघ्न जी को लगा कि वे कुछ ही पल में उन बालको को हरा कर अश्व को छुड़ा लेंगे लेकिन ये तेजस्वी बालक तो उनके हर तीर को काट रहे थे. कुछ समय बाद ही शत्रुघ्न जी पर लव और कुश भारी पड़ने लगे और अयोध्या की सेना भी उनके सामने नहीं टिक सकी. शत्रुघ्न जी दोनों बालको से हार कर जब अयोध्या पहुंचे तो किसी को विश्वास नहीं हुआ कि दो किशोर बालको ने अयोध्या की सेना को हरा दिया.

लव कुश से निपटने के लिए राम जी ने भरत को भेजा और भरत जी जब वहां पहुंचे तो देखा कि दो तेजस्वी बालक अश्व के साथ खेल रहे है. लव कुश ने भरत जी को प्रणाम किया और उन्हें युद्ध के लिए ललकारा. भरत जी के साथ लव कुश का भीषण युद्ध हुआ और भरत जी को भी हार का मुंह देखना पड़ा. 

अब राम जी ने इन दोनों बालको को हराने के लिए लक्ष्मण को भेजा. स्वयं शेषनाग के अवतार लक्ष्मण लव कुश से लड़ने के लिए पहुंचे. उन दोनों बालको को देखकर उन्हें माता सीता याद आई और उन्हें यह भी याद आया कि जब वे माता सीता को वाल्मीकि के आश्रम में छोड़ गए थे तो वे गर्भवती थी. उन्हें आशंका हो आई कि हो न हो ये दोनों बालक राजा राम के ही पुत्र है. उन्होंने दोनो बालको का परिचय पूछा. लव कुश स्वयं नहीं जानते थे कि वे राम के पुत्र है इसलिए लक्ष्मण जीे को भी नहीं बता पाए.

लक्ष्मण जी उनसे आधे मन से युद्ध करके अयोध्या लौट आए. इस बार राम जी ने हनुमान जी को बालको से युद्ध करने के लिए भेजा. शिव के अवतार हनुमान कोई साधारण व्यक्ति तो थे नहीं. युद्ध में उनको हराना असंभव था लेकिन लव कुश ने उनको भी युद्ध के लिए ललकार लिया. लव और कुश को देखते ही हनुमान जी को भान हो गया​ कि वे दोनों उनके स्वामी राम के पुत्र है. उन्होंने लव और कुश से लड़ने की जगह हार जाने का अभिनय किया और कहा कि युद्ध में हारे हुए व्यक्ति को बंदी बनाया जाता है. 

लव कुश को हनुमान जी की बात ठीक लगी और उन्होंने हनुमान जी को बंदी बना लिया. बंदी बनने के बाद हनुमान जी ने लव कुश को कहा कि अब वे उन्हें अपनी माता के पास ले जाए ता​कि ये निश्चित हो जाए कि ये दोनों बालक अयोध्या के राजकुमार हैं. लव कुश हनुमान जी को लेकर माता जानकी के पास पहुूचें और यह स्पष्ट हो गया​ कि लव कुश राजा राम के पुत्र हैं. हनुमान जी ने यह बात अयोध्या जाकर राजा राम को बताई. राम जी को जब यह पता चला तो वे स्वयं लव कुश को लेने आए और उन्हें लेकर अयोध्या चले गए.


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