Jataka stories in hindi |
जातक कथा— भैंसे का शील
Jatak katha- जातक कथाओं के अनुसार बोधिसत्व ने एक भैंसे के रूप में जन्म लिया. एक भैंसा होते हुए भी बोधिसत्व को तत्वज्ञान का एहसास था. इस वजह से उनमें विनम्रता और शील कूट—कूट कर भरा हुआ था. भैंसे बने बोधिसत्व बलिष्ठ होने पर भी किसी अन्य जानवर को नुकसान न पहुंचाते. वे चरने के दौरान भी वनस्पतियों को नुकसान पहुंचाए बिना उनका भक्षण करते. इस तरह भैंसे बने बोधिसत्व के दिन निकल रहे थे.
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इसी दौरान उस जंगल में दुष्ट वानर आया जिसे शरारत करने में बहुत आनंद मिलता था. वह जंगल के सभी जानवरों को परेशान करता. एक दिन उसे भैंसे बने बोधिसत्व भी दिखाई दिए और वह उनके पीठ पर जा बैठा लेकिन भैंसे ने कोई प्रतिक्रिया नहीं की.
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बोधिसत्व ने अपने क्षमा गुण के कारण बंदर की शरारत को माफ कर दिया. इसके बाद तो बंदर की हिम्मत बढ़ती ही चली गई और कई प्रकार से भैंसे बने बोधिसत्व को परेशान करने लगा. कभी उन पर सवारी करता तो कभी उनको सींगों से पकड़ लेता तो कभी उनके चरने में व्यवधान पैदा करता.
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बंदर उनको कई दिनों से परेशान कर रहा था लेकिन बोधिसत्व ने कभी बदले की भावना नहीं दिखाई. उसी जंगल के एक वृक्ष में यक्ष का निवास था. वह यक्ष एक दिन बोधिसत्व के पास आए और कहा कि आप इतने शक्तिशाली है, इस बदमाश बंदर को सबक क्यों नहीं सिखाते.
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बोधिसत्व ने उत्तर दिया कि हरेक प्राणी को अपने विवेक के अनुसार कर्म करने का अधिकार है और बुरे कर्मों का फल बुरा होता है. यह प्राणी को याद रखना चाहिए. गलत कार्यों का परिणाम व्यक्ति को यहीं भुगतना होता है. उन्हें कर्म के न्याय पर विश्वास रखना चाहिए. यह कह कर भैंसे बने बोधिसत्व चरने चले गए.
कर्म का फल उस बंदर को जल्दी ही मिल गया. एक दिन भैंसे बने बोधिसत्व चरते हुए दूर निकल गए और दूसरे जंगल में चले गए. उधर उनके स्थान पर एक दूसरा भैंसा आ गया और चरने लगा. बंदर को लगा कि वह यही भैंसा है जिसे उसे परेशान करके बहुत आनंद मिलता है.
वह वृक्ष से नीचे उतरा और उस भैंसे के सींग पकड़कर उसे परेशान करने लगा. वह साधारण भैंसा बंदर की इस हरकत से नाराज हो गया और उसे जमीन पर पटक कर अपने सींग बंदर के सीने में घुसा दिया. इससे बंदर के प्राण पखेरू उड़ गए और बंदर को अपने किए का फल मिल गया.
Jatak katha with Moral शिक्षा: प्राणी को अपने कर्मों का परिणाम अवश्य मिलता है इसलिए सभी को सद्कर्म करने चाहिए.
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Jatak meaning
The Jataka tales or we called it जातक in Sanskrit are a part of Buddhism literature in India In theses stories they claim an elaborate the previous births of Gautama Buddha in human and animal form. They Believe that in future Buddha may appear as a king, an outcast, a god, an elephant—but, in whatever form, he exhibits some virtue that the tale thereby inculcates. Often, Jataka tales or jatak katha wherever people in trouble the Buddha character intervenes to resolve all the problems and bring about a happy ending.
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