hindi ki kahani, kahani in hindi, kahani hindi me, hindi story, hindi song, hindi kahani download, kahani hindi mai, hindi prem kahani, story in hindi, kahaniya hindi, hindi khani, kahani for child in hindi, kahani hindi mai, hindi kahani cartoon, bolti kahani

Full width home advertisement


Premchand Stories

Love Stories

Post Page Advertisement [Top]


Vikram Betal Hindi Stories
Vikram Betal Hindi Stories

Vikram Betal Hindi Stories - बेताल पच्चीसी -चौथी कहानी-ज्यादा पापी कौन

विक्रम और बेताल की कहानी में अब तक आपने पढ़ा...
एक तांत्रिक की साधना पूरी करने के लिए विक्रम श्मशान से बेताल को लेकर उसके पास जा रहा है. बेताल की शर्त है कि वह तभी तक उसके साथ रहेगा जब तक राजा मौन रहेगा लेकिन रास्ते में बेताल उसे एक कथा सुनाता है और न्याय पूछता है, न्याय न बताने पर राजा का सिर फट जाएगा. ऐसे में विक्रम उसे न्याय बताता है और बेताल उसे छोड़कर उड़ जाता है और उसी पेड़ पर लटक जाता है, जहां से विक्रम उसे लेकर आया था. विक्रम उसे पकड़ने के लिए पीछे दौड़ता है...



Tags:25 stories of vikram betal in hindi, 25 stories of vikram betal pdf, vikram betal 25th story answer, vikram betal stories, vikram betal stories in hindi, vikram betal stories with moral 

विक्रम बेताल को एक बार फिर से पेड़ कर उतार कर अपने कंधे पर उठा लेता है और उसे लेकर चल पड़ता है. बेताल विक्रम का मन बहलाने के लिए चौथी कथा शुरू करता है. 

बेताल बताता है कि बहुत समय पहले की बात है. भोगवती नाम के नगर पर रूपसेन नाम का राजा राज किया करता था. राजा बहुत प्रजावत्सल था लेकिन उसको अपने विवाह योग्य कुमारी नहीं​ मिल रही थी. उसके पास एक विलक्षण तोता था ​​जिससे पूछ कर वह विवाह के लिए लड़की का निर्णय करने वाला था. 

तोते का नाम चिंतामणि था. आखिर एक दिन चिंतामणि ने उससे कहा कि उसे राजा के अनुरूप वधु मिल गई है. उसने बताया कि मगध देश की राजकुमारी चन्द्रावती रूप और गुण से युक्त है और उससे विवाह कर लेने से राजा का वैभव और यश बढ़ेगा.

राजा ने अपने राजज्योतिषी को बुलवाया और चिंतामणि तोते के प्रस्ताव के बारे में बताया. राज ज्योति​षी ने कुण्डली मिलान के बाद बताया कि यह कुमारी राजा के विवाह के लिए सर्वाधिक उपयुक्त रहेगी. राजा ने मगध देश को राजा को विवाह का प्रस्ताव भिजवा दिया. 

मगध देश की राजकुमारी के पास एक मैना थी जिसका नाम मदन मञ्जरी था. राजकुमारी उसकी सारी बात मानती थी. उसने मैना से पूछा कि उसका वर कौन होगा तो मैना ने उत्तर दिया कि रूपसेन उसके लिए उपयुक्त वर है. इस तरह दोनो का ब्याह हो जाता है. मैना अपनी राजकुमारी के साथ भोगवती नगर आ जाती है.

Tags: vikram betal kahani, vikram betal story, vikram betal in hindi, vikram and betal, vikram betal cartoon, vikram betal stories, vikram betal ki kahani, vikram betal serial, vikram betal movie, vikram aur betal

राजा और रानी अपने तोता—मैना का विवाह भी करवा देते हैं और उनको रहने के लिए स्थान दे देते हैं. एक दिन राजा—रानी को पता चलता है कि उनके तोता—मैना में बहुत लड़ाई हो रही है तो वह लड़ाई का कारण जानने पहुंचे. तोता कह रहा था कि स्त्री बहुत बुरी होती है और मैना कह रही थी कि पुरूष बहुत बुरे होते हैं. राजा ने उनकी लड़ाई समाप्त करने के लिए उनसे अपनी बात सिद्ध करने के लिए कहा.

मैना ने कहा कि राजन पुरूष बहुत ही धूर्त और चालाक होते हैं और वे कभी स्त्री का हित नहीं चाहते. मैं अपनी बात सिद्ध करने के लिए एक कथा सुनाती हूं. इलापुर नाम का एक प्राचीन नगर है, जहां महाधन नामक का सेठ रहा करता था. उसका एक पुत्र था. इकलौता होने की वजह से सेठ उससे बहुत लाड—प्यार करता था. इस प्रेम की वजह से उसमें अवगुणों का वास हो गया और उसे जुए की लत लग गई. वह बात—बात पर झूठ बोलने लगा. कुछ समय बाद सेठ की मृत्यु हो गई तो उसका पुत्र बेलगाम हो गया और अपना सारा धन जुए में हार गया.

जब उसे रोटियो के लाले पड़े तो वह नगर छोड़कर दूसरे नगर चला गया क्योंकि इस नगर में तो सब उसकी दुष्टता के बारे में जानते ही थे. वह वहां से चन्द्रपुरी नाम के नगर में पहुंचा जहां हेमगुप्त नाम के सेठ का बड़ा नाम था. वह उस व्यापारी के पास पहुंचा और उसे बताया कि वह महाधन सेठ का लड़का है और समन्दर पार व्यापार करने गया था. लौटते वक्त उसका सारा माल डाकूओ ने लूट लिया. हेमगुप्त को यह जानकर प्रसन्नता हुई कि एक सफल व्यापारी को काम की जरूरत है और उसने उस लड़के को काम पर रख लिया. उसके काम से प्रसन्न होकर उसने कुछ समय बाद अपनी पुत्री का विवाह उसके साथ कर दिया.

Tags: vikram betal episode, vikram betal story in hindi, vikram betal stories in hindi, vikram betal natak, vikram betal ki kahaniya, story of vikram betal 

विवाह के बाद उसने अपनी पुत्री को दहेज में खूब सारा धन और जेवर दिया. साथ में एक दासी दी और उसे लड़के के साथ विदा कर दिया. लड़का तो उस धन से जुआ खेलना चाहता था लेकिन पत्नी के होते हुए ऐसा करना संभव नहीं था तो उसने अपनी पत्नी से कहा कि वह अपने गहने खोलकर एक पोटली में बांधकर उसे दे दे क्योंकि मार्ग में जंगल है और वहां डाकूओं का खतरा है. उसकी पत्नी ने वैसा ही किया. 


लड़के ने धन मिलते ही सबसे पहले उस दासी को मार डाला और उसका शव एक कुंए में फेंक दिया. अपनी पत्नी को भी वह उस कुंए में फेंक कर सारा धन लेकर चला गया. उसकी पत्नी उस कुंए से चिल्लाती रही तो वहां से गुजरने वाले राहगीरो ने उसकी जान बचाई और उसके पिता के घर पहुंचाया. घर पहुंचकर उसने झूठ बोल​ दिया कि रास्ते में डाकुओ ने उन पर हमला कर दिया. दासी की हत्या कर दी और पति का हरण करके ले गए. उसके पिता ने उसे ढांढस बंधाया कि एक दिन उसका पति जरूर लौट कर आएगा.

उधर वह लड़का अपने नगर पहुंचकर फिर से जुआ खेलना शुरू कर दिया और जल्दी ही सारा धन जुएं में हार गया. जब कोई चारा शेष न बचा तो उसने अपने ससुराल जाने का फैसला किया और सोचा कोई झूठ बोल कर धन ले आएगा. जब वह ससुराल पहुंचा तो उसने अपनी पत्नी को जीवित देखा तो उसने सोचा की उसका भांडा फूट गया है. पत्नी ने उसे बताया कि उसने वहां झूठ बोल कर उसकी प्रतिष्ठा बचा ली है. लड़का फिर अपने ससुराल में रहने लग गया. कुछ दिन बाद उसने देखा कि उसकी पत्नी के पास बहुत से गहने है, उन गहनों को प्राप्त करने के लिए उसने उसकी हत्या कर दी और सारा धन लेकर वहां से चला गया.

Tags:vikram aur betaal, vikram betal kahaniya, vikram and betal stories, vikram betal film, vikram betal 2018, vikram betal odia, vikram and betal story, vikram betal natak

मैना बोली, देखा राजन आपने पत्नी ने उसकी प्रतिष्ठा बचाई लेकिन पुरूष ने उसका भी लिहाज न किया और उसकी हत्या कर दी.

अब तोते की बारी आई तो तोते ने कहा कि उसके पास भी सुनाने के लिए एक कथा है और तोते ने अपनी कथा सुनानी शुरू कर दी.   

प्राचीन समय में कंचनपुर नाम का एक नगर था. उस नगर में सागरदत्त नाम का एक सेठ रहा करता था. उस सेठ का एक लड़का था. उसका नाम श्रीदत्त था. उसका विवाह सेठ ने श्री विजयपुर के सेठ सोमदत्त की बेटी जयश्री से कर दिया था. कुछ समय बाद श्रीदत्त व्यापार के सिलसिले में विदेश चला गया और उसकी स्त्री पीछे अकेली रह गई. कुछ समय तक तो उसने अपने पति का इंतजार किया लेकिन जयश्री इसके बाद व्याकुल रहने लगी.

एक दिन जयश्री ने अपने घर के पास एक सुंदर युवक को देखा और उस पर मोहित हो गई. उसने अपनी सखी को यह बात बताई और उसने उससे युवक को प्रेम प्रस्ताव भिजवाया. युवक ने जयश्री का प्रेम प्रस्ताव स्वीकार कर लिया. इसके बाद वे दोनों रात को मिलने लगे और भोर होने से पहले अपने घर लौट जाते. इस तरह समय व्यतीत होने लगा.

इसी बीच एक दिन जयश्री का पति घर लौट आया. पति के आने से जयश्री और प्रेमी का मिलना बंद हो सकता था. इसको सोचकर पति के सोने के बाद वह अपने प्रेमी से मिलने के लिए निकली. इतनी रात को एक स्त्री को देखकर एक चोर उसके पीछे लग गया. जयश्री अपने प्रेमी के पास पहुंची जिसे एक काले नाग ने काट लिया था और उसकी मृत्यु हो गई थी लेकिन जयश्री को यह पता नहीं था. उसके प्रेमी के घर में एक पीपल का पेड़ था​ जिस पर एक प्रेत रहा करता था. उसने जब जयश्री को वहां देखा तो उसे सबक सिखाने के लिए उसके प्रेमी के शरीर में प्रवेश कर ​गया और जयश्री की नाक काट ली.

कटी नाक को लेकर वह घर पर क्या जवाब देती तो उसने अपने पति पर इसका दोष लगा दिया कि उसने ही उसकी नाक काट ली. जयश्री के घरवाले उसके पति को पकड़कर राजा के पास ले गए तो इस अपराध के लिए राजा ने उसके पति को मृत्युदण्ड का आदेश दे दिया लेकिन तभी वह चोर सामने आ गया और उसने सारी बात राजा को बताई और यह भी बताया कि उस स्त्री की नाक अभी भी उसके प्रेमी के मुख के अंदर है, जब इसकी जांच की गई तो यह बात सच साबित हो गई. राजा ने जयश्री को देश निकाला दे दिया.

बेताल ने पूछा बताओ राजन दोनो कथाओं में स्त्री और पुरूष में से ज्यादा पापी कौन था. विक्रम ने जवाब दिया कि स्त्री अधिक पापी थी क्योंकि उसने अपने पति की बुराई को छुपाया जबकि दूसरी कथा में एक चोर ने एक पुरूष होते हुए भी सत्य का साथ दिया. बेताल ने विक्रम को कहा सही जवाब और उड़कर उसी पेड़ की तरफ चल दिया. विक्रम उसे पकड़ने के लिए उसके पीछे दौड़ा. 




No comments:

Post a Comment

Bottom Ad [Post Page]