sone ke ande ki kahani सोने के अण्डे की कहानी |
Short Stories for Kids in Hindi
सोने के अण्डे की कहानी
सोने की अण्डे की कहानी सबकी नानी अक्सर सुनाती है. इस कहानी में एक मुर्गी है और एक मुर्गी को पालने वाला रामलाल तो आप इसे रामलाल की कहानी Ramlal ke kahani भी कह सकते हैं तो कहानी कुछ ऐसे शुरू होती है.
बहुत समय पहले की बात है कि एक गांव में रामलाल नाम का एक आदमी रहता था और वह बहुत गरीब था. उसकी गरीबी का आलम यह था कि कभी-कभी तो उसके पास अपने बच्चों को खिलाने के लिए खाना तक नहीं होता था. ऐसे ही दिन गुजर रहे थे तभी एक दिन रामलाल की किस्मत ने पलटा खाया.
एक साधु रामलाल के द्वार पर आया और अलख निरंजन का नारा लगाया. रामलाल बेचारा गरीब दरवाजे पर आया तो साधू को देखा. उसने सोचा कि घर आया साधू ऐसे ही लौट जाये ये ठीक बात नहीं है. वह रसोई में गया तो वहां कुल एक रोटी थी और बच्चे भूखे थे लेकिन उसने सोचा कि साधू भूखा जाये यह ठीक नहीं है तो उसने वह रोटी साधू को दे दी.
साधू बहुत चमत्कारी था. वह जान गया कि रामलाल ने अपने बच्चों के हिस्से की रोटी उसे खाने को दी है. वह रामलाल के त्याग से बहुत प्रसन्न हुआ और अपनी झोली में से एक सुनहरा अण्डा निकाल कर रामलाल को दिया और बोला कि इसमें से जो मुर्गी निकले, उसका पूरा ध्यान रखना.
रामलाल ने उस मुर्गी के अण्डे को बड़े ही जतन से संभाला और कुछ दिन बाद उसमें से एक मुर्गी बाहर आई. कुछ समय बाद उस मुर्गी ने अण्डे देने शुरू किये तो रामलाल क्या देखता है कि अण्डे सोने के है. अब रामलाल हर हफ्ते एक सोने का अण्डा उस मुर्गी से प्राप्त करने लगा और उसे बाजार मे बेचकर उसके बढ़िया पैसे उसे मिलने लगे. उसकी सारी गरीबी दूर हो गई.
सोने के अण्डे देने वाली मुर्गी ने उसकी कायापलट कर दी. वह अब बड़े आलिशान मकान में रहने लगा और उसके बच्चे भी बहुत बड़े स्कूल में पढ़ने जाने लगे. उसकी पत्नी के पास ढेर सारे सोने के जेवर हो गये. पूरे गांव में रामलाल की बहुत इज्जत होने लगी. हर छोटा-बड़ा आदमी रामलाल के दरवाजे पर आने-जाने लगा.
इतना सब हो जाने के बाद भी रामलाल के मन में एक अफसोस रह गया था कि उसे मुर्गी पूरे हफ्ते में सिर्फ एक ही सोने का अण्डा देती है और इस तरह वह बहुत धीरे-धीरे अमीर हो रहा था. उसे इस बात का बहुत रंज था. वह सोचता था कि काश कोई ऐसा जतन हो जाये कि उसे एक साथ ढेर सारे सोने के अण्डे मिल जाये तो वह एक बार में ही बहुत अमीर हो जाये.
रामलाल के मन में लालच आ गया और वह सोचने लगा कि कैसे इस मुर्गी से ज्यादा से ज्यादा अंडे लिये जाये. लालच में वह बिल्कुल अंधा हो गया. एक दिन उसके दिमाग में आया कि सारे अंडे इस मुर्गी के पेट में ही और वहीं से वह अण्डे बाहर निकालती है अगर इस मुर्गी का पेट फाड़कर सारे अण्डे बाहर निकाल लिये जाये तो वह अमीर हो जायेगा.
इस विचार के आते ही उसने चाकू लेकर मुर्गी का पेट फाड़ दिया लेकिन उसे मुर्गी के पेट में एक भी अंडा नहीं मिला और ढेर सारे अंडो के लालच में उसकी मुर्गी भी मर गई. अंडे न मिलने की वजह से रामलाल फिर से गरीब हो गया और लालच की वजह से वह सबकुछ गंवा बैठा.
Moral of the Story
शिक्षाः जो लालच करता है उसे आखिर में पछताना ही पड़ता है.
No comments:
Post a Comment