Pash Poems and Short Biography in hindi |
Pash Short Biography in Hindi- पाश की संक्षिप्त जीवनी
Pash-पाश की कविताओं ने पूरी दुनिया में लोगों को प्रभावित किया. जनवाद की उनकी कविताएं मानव अधिकार और लोकतांत्रिक मूल्यों को सहेजती हैं और पूरी दुनिया में मानवाधिकार कार्यकर्ता पाश की कविताओं को अपने लिए प्रेरणा स्रोत बताते हैं. पाश की कविताओं की तरह उनका जीवन भी लोकतांत्रिक मूल्यों और मानवाधिकारों को ही समर्पित रहा.
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पाश का पूरा नाम अवतार सिंह संधू था. पाश उनका उपनाम था जिसे वह अलंकार की तरह अपने नाम के साथ लगाया करते थे. पाश का जन्म 9 सितम्बर 1950 को तलवण्डी सेलम, जालंधर पंजाब में हुआ. यह वह दौर था जब बंगाल का नक्सली आंदोलन अपने चरम पर था. उस आंदोलन से पंजाब भी प्रभावित हुआ और जमींदारों के खिलाफ एक आंदोलन उठ खड़ा हुआ.
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पाश पर इसका असर हुआ और वे जनवाद की आवाज उठाने लगे. उनकी कविताओं पर पकड़ ने उन्हें जल्दी ही मशहूर कर दिया और 1970 में उनकी पहली किताब लौह कथा आई. वे पंजाब में वामपंथ की प्रमुख आवाज बनकर उभरे.
अपने काम की वजह से वजह से उन्हें 2 साल जेल में भी बिताने पड़े. उन पर हत्या का मुकद्मा चलाया गया जो साबित नहीं हो पाया और उन्हें रिहा कर दिया गया. उन्होंने मैगजीन का संपादन भी किया. 1986 में उन्हें युनाइटेड किंगडम जाने का मौका मिला. वे पंजाब के आंतकवाद में विरोध में भी अपनी बात कहते रहे. उन्हें जान से मारने की धमकियां मिलती रही.
1988 में खालिस्तानी आंतकियो द्वारा उन्हें और उनके एक दोस्त हंसराज को गांव में गोली मार कर हत्या कर दी गई और जनवाद की इस प्रबल आवाज को खामोश कर दिया गया. उनकी हत्या से उनकी कविताओं को और अधिक प्रसिद्धि मिली और वे अपनी कविताओं के माध्यम से आज तक अभिव्यक्त होते रहते हैं। 23 मार्च 1988 को जब उनकी हत्या की गई तब वे महज 37 साल के थे.
पाश की प्रमुख रचनाएं
- लौहकथा—1970
- उड्ड्दे बाजाँ मगर—1974
- साडे समियाँ विच—1978
- लड़ांगे साथी—1988
- खिल्लरे होए वर्के—1989
pash poetry in hindi
pash poetry sabse khatarnak- पाश की प्रसिद्ध कविता- सबसे खतरनाक होता है.
मेहनत की लूट सबसे ख़तरनाक नहीं होती
पुलिस की मार सबसे ख़तरनाक नहीं होती
ग़द्दारी और लोभ की मुट्ठी सबसे ख़तरनाक नहीं होती
बैठे-बिठाए पकड़े जाना बुरा तो है
सहमी-सी चुप में जकड़े जाना बुरा तो है
सबसे ख़तरनाक नहीं होता
कपट के शोर में सही होते हुए भी दब जाना बुरा तो है
जुगनुओं की लौ में पढ़ना
मुट्ठियां भींचकर बस वक़्त निकाल लेना बुरा तो है
सबसे ख़तरनाक नहीं होता
सबसे ख़तरनाक होता है मुर्दा शांति से भर जाना
तड़प का न होना
सब कुछ सहन कर जाना
घर से निकलना काम पर
और काम से लौटकर घर आना
सबसे ख़तरनाक होता है
हमारे सपनों का मर जाना
सबसे ख़तरनाक वो घड़ी होती है
आपकी कलाई पर चलती हुई भी जो
आपकी नज़र में रुकी होती है
सबसे ख़तरनाक वो आंख होती है
जिसकी नज़र दुनिया को मोहब्बत से चूमना भूल जाती है
और जो एक घटिया दोहराव के क्रम में खो जाती है
सबसे ख़तरनाक वो गीत होता है
जो मरसिए की तरह पढ़ा जाता है
आतंकित लोगों के दरवाज़ों पर
गुंडों की तरह अकड़ता है
सबसे ख़तरनाक वो चांद होता है
जो हर हत्याकांड के बाद
वीरान हुए आंगन में चढ़ता है
लेकिन आपकी आंखों में
मिर्चों की तरह नहीं पड़ता
सबसे ख़तरनाक वो दिशा होती है
जिसमें आत्मा का सूरज डूब जाए
और जिसकी मुर्दा धूप का कोई टुकड़ा
आपके जिस्म के पूरब में चुभ जाए
मेहनत की लूट सबसे ख़तरनाक नहीं होती
पुलिस की मार सबसे ख़तरनाक नहीं होती
ग़द्दारी और लोभ की मुट्ठी सबसे ख़तरनाक नहीं होती ।
avtar singh pash poems Hindi pdfपाश की प्रसिद्ध कविता- हम लड़ेंगे साथी
हम लड़ेंगे साथी, उदास मौसम के लिए
हम लड़ेंगे साथी, ग़ुलाम इच्छाओं के लिए
हम चुनेंगे साथी, ज़िन्दगी के टुकड़े
हथौड़ा अब भी चलता है, उदास निहाई पर
हल अब भी चलता हैं चीख़ती धरती पर
यह काम हमारा नहीं बनता है, प्रश्न नाचता है
प्रश्न के कन्धों पर चढ़कर
हम लड़ेंगे साथी
क़त्ल हुए जज़्बों की क़सम खाकर
बुझी हुई नज़रों की क़सम खाकर
हाथों पर पड़े घट्टों की क़सम खाकर
हम लड़ेंगे साथी
हम लड़ेंगे तब तक
जब तक वीरू बकरिहा
बकरियों का मूत पीता है
खिले हुए सरसों के फूल को
जब तक बोने वाले ख़ुद नहीं सूँघते
कि सूजी आँखों वाली
गाँव की अध्यापिका का पति जब तक
युद्ध से लौट नहीं आता
जब तक पुलिस के सिपाही
अपने भाइयों का गला घोंटने को मज़बूर हैं
कि दफ़्तरों के बाबू
जब तक लिखते हैं लहू से अक्षर
हम लड़ेंगे जब तक
दुनिया में लड़ने की ज़रूरत बाक़ी है
जब तक बन्दूक न हुई, तब तक तलवार होगी
जब तलवार न हुई, लड़ने की लगन होगी
लड़ने का ढंग न हुआ, लड़ने की ज़रूरत होगी
और हम लड़ेंगे साथी
हम लड़ेंगे
कि लड़े बग़ैर कुछ नहीं मिलता
हम लड़ेंगे
कि अब तक लड़े क्यों नहीं
हम लड़ेंगे
अपनी सज़ा कबूलने के लिए
लड़ते हुए जो मर गए
उनकी याद ज़िन्दा रखने के लिए
हम लड़ेंगे
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