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Mahabharat Stories in Hindi

महाभारत की कहानियां— अर्जुन और चिड़िया की आंख


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अर्जुन को दुनिया का सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर माना जाता है. उन्हें द्रोणाचार्य जैसा महान गुरू मिला जिनसे उन्होंने धनुर्विद्या सीखी. अर्जुन सहित हस्तिनापुर के सभी राजकुमार शस्त्र विद्या सीख रहे थे लेकिन अर्जुन हमेशा से ही द्रोणाचार्य के प्रिय बने. द्रोणाचार्य का हृदय अर्जुन ने कैसे जीता, इसकी एक बड़ी रोचक कथा है.


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अर्जुन और सभी राजकुमारों को द्रोणाचार्य एक दिन धनुर्विद्या की शुरूआत करवाने के लिए एक जंगल में ले गए. उन्होंने सभी राजकुमारों को एक पेड़ के सामने इकट्ठा होने को कहा. सभी राजकुमार अपने तीर और धनुष लेकर वहां आ गए.

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द्रोणाचार्य ने पेड़ पर एक चिड़िया की मूर्ति लगवा दी थी ताकि राजकुमार उस पर निशानेबाजी का अभ्यास कर सके. द्रोणाचार्य ने सबसे पहले युधिष्ठिर को बुलाया क्योंकि वे सबसे बड़े थे. उन्होंने यु​धिष्ठिर से पुछा कि उसे क्या दिखाई दे रहा है तो युधिष्ठिर ने उन्हें उत्तर दिया कि उन्हें पेड़ दिखाई दे रहा है.



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द्रोणाचार्य ने उन्हें वापस भेज दिया. बारी बारी से सारे कुमार आते रहे और द्रोणाचार्य उनसे एक ही सवाल पूछते रहे कि उन्हें क्या दिखाई दे रहा है. कोई जवाब देता कि उसे आकाश दिखाई दे रहा है तो कोई कहता कि उसे कोई शाखा दिखाई दे रही है. 


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जब अर्जुन की बारी आई तो द्रोणाचार्य ने पूछा कि अर्जुन तुम्हें क्या दिखाई दे रहा है तो अर्जुन ने उत्तर दिया कि गुरूवर मुझे तो चिड़िया की आंख के अतिरिक्त कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा है. द्रोणाचार्य ने अर्जुन को चिड़िया को निशाना बनाने की अनुमति दी.

द्रोणाचार्य ने कुमारो ने समझाया कि सफल वही होता है जो अपने लक्ष्य के अतिरिक्त कुछ नहीं देखता है. अच्छा धनुर्धर वही बन सकता है जो सिर्फ लक्ष्य को अपने दिमाग में रखे और अर्जुन ही इसमें सफल हुआ है और इसी वजह से वह दुनिया का सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर बनेगा.




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