vinoba bhave biography and Quotes in hindi- |
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Vinoba Bhave Short biography in hindi- विनोबा भावे की संक्षिप्त जीवनी
विनोबा भावे को प्रथम सत्याग्रही कहा जाता है. महात्मा गांधी ने सत्याग्रह आंदोलन के दौरान उन्हें प्रथम सत्याग्रही की संज्ञा से विभूषित किया था. विनोबा भावे को भारत में गांधी के बाद अहिंसा का सबसे बड़ा समर्थक माना जाता है. विनोबा का पूरा जीवन देश के लिए संघर्ष करते हुए बीता.
विनोबा भावे का जन्म 11 अक्टूबर 1985 को महाराष्ट्र में रायगढ़ के गागोद में हुआ. विनोबा का परिवार चित्तपावन ब्राह्मण था. उनके पिता का नाम नरहरि शंभु राव और माता का नाम रूक्मणी देवी था. अपने जीवन के शुरूआती दौर में ही विनोबा पर भगवद् गीता का बहुत गहरा प्रभाव पड़ा और अध्यात्म में उनकी रूचि जागृत हो गई.
महात्मा गांधी का विनोबा पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा. अखबार में छपे उनके भाषण को पढ़ने के बाद उन्होंने अपने स्कूल से प्राप्त सभी प्रमाण पत्र जला दिए और गांधी जी को एक पत्र लिखा. महात्मा गांधी उनके पत्र से प्रभावित हुए और उन्होंने विनोबा को अपने अहमदाबाद स्थित आश्रम में आने का निमंत्रण दिया.
विनोबा 7 जून 1916 को गांधी के आश्रम पहुंच गए और स्वतंत्रता आंदोलन में महात्मा गांधी के साथ काम करने लगे. 1921 में महात्मा गांधी ने विनोबा भावे को वर्धा आश्रम की देख-रेख करने का काम दे दिया. वर्धा में काम करने के दौरान ही विनोबा ने मराठी में एक अखबार का प्रकाशन करना शुरू कर दिया जिसे नाम दिया गया- महाराष्ट्र धर्म.
उन्होंने हरिजनों के मंदिर प्रवेश आंदोलन की बागडोर भी संभाली और महात्मा गांधी के निर्देश में केरल के कई मंदिरों में हरिजनों का प्रवेश करवा कर छूआछूत का विरोध भी किया. भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में काम करते हुए विनोबा को कई बार जेल भी जाना पड़ा. 1920 और 1930 के असहयोग आंदोलन और सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान उन्हें अंग्रेज सरकार ने उन्हें जेल भेज दिया.
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1940 में उन्हें भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान अंग्रेज सरकार ने 5 साल जेल की सजा सुनाई. जेल में विनोबा भावे ने पुस्तके पढ़ने और लिखने का काम किया. उन्होंने जेल में ही ईसावास्यवर्ती और स्थितप्राजना दर्शन की रचना की. उन्होंने भगवत गीता पर अपने जेल प्रवास के दौरान ही मराठी में भाष्य लिख डाला.
विनोबा भावे के दो मंत्र ओम त्त सत् और जय जगत् बहुत ही लोकप्रिय हुए. हिंदू शास्त्रों पर उनकी टिप्पणीयां बहुत ही विशेष मानी गई. उन्होंने आध्यात्म को आधार बनाकर मानव जीवन की परेशानियों को हल करने का उपाय खोजा. उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों को आगे बढ़ाने के लिए सर्वोदय आंदोलन का मार्ग चुना.
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भूदान आंदोलन ने विनोबा को भारतीय मानस में वह स्थान दिलाया, जिसने उन्हें अमर कर दिया. भारत उस समय परेशानी के दौर से गुजर रहा था. उस समय भारत के सामने भूमिहीनों की बहुत बड़ी समस्या मुंह बाए खड़ी थी. विनोबा ने इस समस्या को हल करने के लिए 18 अप्रेल 1951 को भूदान आंदोलन की शुरूआत की. इस आंदोलन का ध्येय वाक्य था- माता भूमिः पुत्रों अहं. यानि भूमि मेरी माता और मैं इसका पुत्र हूं. उन्होंने भारत भर में घूम-घूम कर भूमिहीनों के लिए लोगों से अपनी भूमि का छठवां हिस्सा मांगा. भूदान आंदोलन सफल रहा. सिर्फ तमिलनाडु में ही उन्हें 175 गांव दान में प्राप्त हो गए.
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विनोबा भावे ने महिला उत्थान के लिए बहुत काम किया. उन्होंने vinoba bhave ashram - ब्रह्म विद्या मंदिर की भी स्थापना की. इस आश्रम में महिलाएं आत्म निर्भर होने के लिए विभिन्न कलाओं में पारंगत होती थी और अपनी आजीविका खुद कमाती थी. इसी आश्रम में विनोबा ने अपना आखिरी समय बिताया. स्वास्थ्य खराब हो जाने के पर उन्होंने समाधि में जाने का निश्चय किया और 15 नवम्बर 1982 को विनोबा का देहान्त हो गया.
विनोबा की मृत्यु के समय तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी रूस गई हुई थी, उनकी मृत्यु का समाचार सुनते ही वे भारत लौट आई और उनके अंतिम संस्कार में हिस्सा लिया. विनोबा भावे ने अपना पूरा जीवन अहिंसा और कमजोर वर्ग के उत्थान में लगा दिया. उनके इस योगदान की वजह से 1983 में उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया.
vinoba bhave quotes- विनोबा भावे के प्रेरक वचन
जब हमारा जीवन सीमाओं के भीतर और स्वीकार्य, अनुशासित तरीके से आगे बढ़ता है तभी मन मुक्त हो सकता है।
- विनोबा भावे
यदि कोई व्यक्ति इस शरीर पर विजय प्राप्त करता है, तो दुनिया में कौन उस पर शक्ति का उपयोग कर सकता है? वह खुद पूरी दुनिया में शासन करता है।- विनोबा भावे
जब कोई बात सच होती है, तो इसे साबित करने के लिए किसी भी तर्क का उपयोग करने की आवश्यकता नहीं होती है।- विनोबा भावे
एक देश को हथियारों से नहीं, बल्कि नैतिक व्यवहार से बचाया जाना चाहिए।- विनोबा भावे
राजनीति और धर्म अलग हैं। ये समय विज्ञान और आध्यात्मिकता के लिए आया है।- विनोबा भावे
सभी क्रांति स्रोत पर आध्यात्मिक हैं। मेरी सभी गतिविधियों का मर्म एक संघ प्राप्त करना है।- विनोबा भावे
अगर हम अपनी प्रकृति को स्वतंत्र और खुशहाल होने की कामना करते हैं, तो हमें अपनी गतिविधियों को एक ही क्रम में लाना होगा। - विनोबा भावे
भगवत गीता में, कोई लंबी चर्चा नहीं है, कुछ भी विस्तृत नहीं है। इसका मुख्य कारण यह है कि गीता में जो भी कहा गया है, वह हर व्यक्ति के जीवन में परीक्षण किया जाना है; यह अभ्यास में सत्यापित किया जाना है।- विनोबा भावे
सकल और सूक्ष्म, शुद्ध और मिश्रित, सरल और जटिल - अंत में वहां कोई जगह नहीं है जहां भगवान नहीं है। हर परमाणु में, वह अकेला मौजूद है। चींटी से ब्रह्मांड तक, वह फैलता है। वह भगवान जो सभी के लिए समान रूप से परवाह करता है, वह हर जगह खड़ा है।- विनोबा भावे
यदि आप एक पेड़ काटना चाहते हैं, तो इसकी शाखाओं में चढ़ने के लिए इसका कोई उपयोग नहीं है।- विनोबा भावे
गीता को लगातार पढ़ने का मुख्य कारण यह है कि, जब भी मुझे सहायता चाहिए, मैंने इसे गीता से प्राप्त किया हैं और, वास्तव में, मैं हमेशा प्राप्त करता हूं।- विनोबा भावे
यद्यपि 'कर्मयोग' और 'संन्यास' अलग हैं लेकिन दोनों के अंतर्मन में सत्य समान है।- विनोबा भावे
हमने अनुभव से देखा है कि, यदि हम एक ही सड़क पर नियमित रूप से चलने की आदत में हैं, तो हम अपने कदमों पर ध्यान दिए बिना, चलते समय अन्य चीजों के बारे में सोचने में सक्षम हैं।- विनोबा भावे
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