Noor Jahan and Jhangir love Story in Hindi |
जहांगीर और नूरजहां की प्रेम कहानी
जहांगीर और नूरजहां की प्रेम कहानी के बारे में कौन नहीं जानता. इस प्रेम कहानी ने मुगलिया सल्तनत के शहनशाह को एक औरत के कदमों में अपना दिल रखने को मजबूर कर दिया था. लोग अक्सर कहते हैं कि मुहब्बत और जंग में सब जायज है. जहांगीर ने नूरजहां की मोहब्बत में यह कर दिखाया. कहते हैं कि नूरजहां को पाने के लिए जहांगीर ने उसके शौहर शेर खां की हत्या तक करवा दी.
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इस कहानी की शुरूआत तब होती है जब जहांगीर एक शहजादे थे. अकबर के लाडले थे, उन्हें अकबर प्यार से सलीम बुलाते थे. सलीम जवान हो रहे थे और पूरा हिंदोस्तान यह देखने के लिए तैयार था कि उनका होने वाला बादशाह किसे अपनी मल्लिका बनाता है. किस खुशनसीब लड़की को जीनत ए हिन्द होने का मौका मिलता है. यह सब चल रहा था कि एक दिन बिहार का गर्वनर अपनी बेगम के साथ दिल्ली आया और मुगल दरबार की शान में सजदा करने के लिए अकबर के दरबार में हाजिर हुआ.
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शेर अफगन अपनी पत्नी नूरजहां के साथ आया था. नूरजहां जिसका मतलब होता है, इस जहां की रोशनी. नूरजहां की खूबसूरती से पूरी दिल्ली रोशन हो गई. सलीम की आंखे भी नूरजहां को देखकर पलक झपकना भूल गई. सलीम जानता था कि नूरजहां का निकाह हो चुका है और वह किसी भी कीमत पर तब तक नूरजहां को हासिल नहीं कर सकता, जब तक शेर अफगन उसके रास्ते में हैं. शेर अफगन कोई छोटा—मोटा आदमी तो था नहीं, वह बिहार का गवर्नर था. अकबर बादशाह किसी भी कीमत पर अपने गवर्नर की आबरू बेजार न होने देते.
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सलीम ने इंतजार किया, करीब दो साल बाद अकबर के इंतकाल के बाद सलीम को मुगल सल्तनत का ताज मिला. सलीम अब जहांगीर हो गया था. जहांगीर मतलब सारे जहां का मालिक. सारे जहां का मालिक अपने जहां की रोशनी यानी नूरजहां के लिए बेताब हो गया. कहते हैं कि सुल्तान बनने के बाद उसने शेर अफगन को रास्ते से हटाने के लिए कई जतन किए. आखिर में उसे कामयाबी मिली और शेर अफगन दुनिया से रूखसत हो गया.
इस बात से नूरजहां को धक्का लगा. उसका परिवार अब बादशाह के भरोसे हो गया. नूरजहां को दिल्ली बुला लिया गया. दिल्ली में उसे मल्लिका ए हिन्दुस्तान और जहांगीर की मां रूकैया बेगम की सेवाा में लगा दिया गया. फिर एक दिन जब नौरोज का त्यौहार अपने पूरे शबाब पर था और मीना बाजार सजा हुआ था. उसी दिन फिर एक बार जहांगीर और नूरजहां की आंखे टकराई. उसी दिन जहांगीर ने अपने दिल की बात नूरजहां को बताई लेकिन नूरजहां अभी शेर अफगन के दुख से बाहर नहीं आई थी.
दिल्ली की सुल्तान चाहता तो नूरजहां से जबरदस्ती निकाह कर लेता लेकिन उसे नूरजहां का जिस्म नहीं दिल चाहिए था. जहांगीर ने उसके ना को भी स्वीकार किया और उसे फूल भेजता रहा. उसके नखरे उठाता रहा, उसकी नाजों को यूं पालता जैसे कोई अपने बच्चे बड़े करता है. नूरजहां यह भूल गई कि यह वहीं जहांगीर है जिसने उसका सुहाग उजाड़ा. आखिर में छह साल तक इंतजार करने के बाद नूरजहां के मूंह से हां निकली.
नूरजहां और जहांगीर का निकाह हुआ. कहते हैं कि नूरजहां जहांगीर की बीसवीं बीवी थी. इसके बावजदू उसे मल्लिका ए हिन्दुस्तान के खिताब से नवाजा गया. नूरजहां के मूंह से निकले शब्द ही मुगलिया सल्तनत को चलाने लगे. जहांगीर नूरजहां के प्रेम में ऐसा गिरफ्तार हुआ कि एक सुल्तान प्रेम का कैदी बन गया. मुगलिया सल्तनत की डोर नूरजहां के हाथों में आ गई. दोनो ने सुखपूर्वक लंबे समय तक शासन किया.
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