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Akbar Birbal Stories in Hindi

अकबर-बीरबल की कहानी-बीरबल और पंडित

एक ब्राह्मण पुत्र बहुत प्रयत्न करने के बाद भी अपनी शिक्षा पूरी नहीं कर पाया जबकि उसके सभी भाई प्रकांड विद्वान बन गए और लोग उन्हें पंडित की उपमा से बुलाने लगे. इस भाई को सब नाम से पुकारते तो उसकी स्त्री को बुरा लगता. 

एक शाम स्त्री ने अपने पति से साफ कह दिया कि अगर आप पंडित न बने तो मेरा मोह त्याग दें. इससे ब्राह्मण पुत्र की गृहस्थी पर संकट आ गया. उसने अपनी यह व्यथा अपने भाइयों से बताई. भाइयों ने कहा कि अगर कोई शास्त्रोक्त समस्या होती तो वे तुरंत हल कर देते लेकिन इस समस्या का समाधान तो उनके पास नहीं है.

सबसे बड़े भाई ने उसे बीरबल से मिलने की सलाह दी जो अपने बुद्धिमानी की वजह से अकबर के प्रिय बन चुके थे. ब्राह्मण पुत्र बीरबल के पास पहुंचा और अपनी समस्या बताई कि उसे ज्ञान नहीं है इसलिए उसके पास पंडित की उपाधि नहीं है लेकिन उसकी स्त्री चाहती है कि सब उसे पंडित ही पुकारे.

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बीरबल ने कहा कोई मुश्किल काम नहीं है. बस तुम्हे मेरे कहे अनुसार चलना होगा. ऐसा करो शहर के चौराहे पर खड़े हो जाओ और जो भी तुम्हें पंडित बुलाए उसे मारने दौड़ो. ब्राह्मण पुत्र शहर के चौराहे पर खड़ा हो गया.

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बीरबल पीछे से पहुंचे और दो बच्चों को मिठाई देकर कहा कि चौराहे पर खड़े व्यक्ति को पंडित कहकर बुलना है. बच्चों ने ऐसा ही किया तो योजना के मुताबिक ब्राह्मण पुत्र उन्हें मारने दौड़ा. थोड़ी ही देर में वहां तमाशा बन गया. सभी लोग उसे पंडित बुलाते और वह उन्हें मारने दौड़ता. फिर तो यह रोज का प्रपंच हो गया.

कुछ समय बाद उसे सब पंडित बुलाने लगे और बीरबल ने उसे समझा दिया कि अब प्रतिक्रिया न दे क्योंकि अब लोग उसे आजीवन पंडित नाम से ही संबोधित करने वाले है. ब्राह्मण पुत्र को बीरबल की बुद्धिमानी से पंडित की उपाधि मिल गई.

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