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पंचतंत्र की कहानियां-मूर्ख मछलियां

एक बार की बात है एक तालाब में ढेर सारी मछलियां रहती थी. उन मछलियों में दो मछलियां स्वयं को विशिष्ट मानती थी. उनका नाम सौबुद्धि और सहस्त्रबुद्धि था. दोनों को अपना ज्ञान बघारने की आदत थी. सभी मछलिया उनके ज्ञान से प्रभावित थी और समय बिगड़ने पर उनका परामर्श लेती थी.

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दिन इसी तरह गुजर रहे थे कि गर्मिया आई और भीषण अकाल पड़ा. तालाब सूखने लगा और समय के साथ तालाब में बहुत थोड़ा सा जल ही शेष बचा. मछलिया एक छोटे से जगह पर एकत्रित हो गई.
एक दिन एक आदमी तालाब के नजदीक से गुजर रहा था तो उसने देखा की थोड़े से जल में ढेरों मछलियां तैर रही है. उसने कहा कि यह अच्छा मौका है और वह कल सुबह जाल लेकर आएगा और इन सभी मछलियों को पकड़ कर ले जाएगा.
मछलियों ने इस बात को सुना तो घबरा गई और सलाह लेने के लिए पहले सौबुद्धि के पास गई. सौबुद्धि अपने ज्ञान के घमंड से चूर थी और उसने ज्ञान बघारते हुए मछलियों को समझाया कि मुसाफिर लौट के नहीं आते और तुम निश्चिंत रहो, वो व्यक्ति भी लौट कर नहीं आएगा.
मछलियां सौबुद्धि के जवाब से संतुष्ट नहीं हुई और वे परामर्श के लिए सहस्त्रबुद्धि के पास गई. सहस्त्रबुद्धि उनसे कहने लगी कि सखियों घबराने की आवश्यकता नहीं है. उसका ज्ञान कहता है कि आज रात को ही घनघोर बारिश होगी और तालाब पानी से भर जाएगा और उस व्यक्ति को सुबह सफलता नहीं मिलेगी.
सहस्त्रबुद्धि की बात उसी तालाब में रहने वाला एक मेंढक एकबुद्धि सुन रहा था. उसका जीवन बहुत व्यवहारिक था और उसे जो सही लगता था उसे अनुभव की कसौटी पर परखता था. उसने मछलियों को समझाया कि बारिश होने की संभावना बहुत कम है और नजदीक ही दूसरा बड़ा तालाब है. मछलियों को उस तालाब में चले जाना चाहिए.
मछलियों ने उसकी बात को अनसुना कर दिया क्योंकि वे सहस्त्रबुद्धि के ज्ञान पर विश्वास करती थी. मेंढक उसी रात अपने परिवार सहित दूसरे तालाब चला गया. मछलियों रात भर वर्षा का इंतजार करती रही लेकिन वर्षा नहीं हुई.
अगली सुबह वह व्यक्ति एक जाल लेकर आया और मछलियों को फंसा लिया. सौबुद्धि और सहस्त्रबुद्धि ने बचने का बहुत प्रयास किया लेकिन वे बच नही पाईं. उनकी मूर्खता की वजह से उनकी साथियों के प्राण भी चले गए.

Moral of the Story

शिक्षाः अपने को ज्ञानी समझने वाला व्यक्ति व्यवहारिक ज्ञान से दूर हो जाता है और अपने साथ ही दूसरों का भी नुकसान करता है.

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