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Sant Eknath Biography and Motivational Story
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संत एकनाथ जी की जीवनी

संत एकनाथ जी का जन्म महाराष्ट्र के पैठण में हुआ. संत भानुदास जी इनके दादा थे. मूल नक्षत्र में जन्म लेने के कारण बचपन में ही इनके माता—पिता का स्वर्गवास हो गया. उन्होंने जनार्दन स्वामी को अपना गुरू बनाया. जनार्दन स्वामी को देवगढ़ का हाकिम कहा जाता है. संत एकनाथ ने संत ज्ञानेश्वर के साहित्य का गहन अध्ययन किया. 

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संत एकनाथ जी प्रवृति और निवृति दोनों मार्गों के अनुयायी थे. इन्होंने संत होते हुए भी गृहस्थ धर्म का पालन किया. संत एकनाथ को छूआछूत के खिलाफ आंदोलन के लिए जाना जाता है. वे बहुत श्रेष्ठ कवि भी थे. इन्होंने मराठी भाषा में उत्कृष्ट साहित्य रचा.

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inspiring personalities संत एकनाथ जी की प्रमुख रचनाएं


1. चतुश्लोकी भागवत,
2. पौराणिक आख्यान और संतचरित्र,
3. भागवत,
4. रुक्मिणी स्वयंवर,
5. भावार्थ रामायण,
6. मराठी एवं हिंदी में कई सौ 'अभंग',
7. हस्तामलक शुकाष्टक, स्वात्मसुख, आनंदलहरी, चिरंजीव का विवेचन 
8. लोकगीतों की रचनाएँ, जिन्हें भारूड कहा जाता है.

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संत एकनाथ की प्रेरक कथा


संत एकनाथ किसी पर क्रोध नहीं करने के लिए प्रसिद्ध थे. सभी लोग उनकी सहनशीलता और विनम्रता की प्रशंसा किया करते थे. एक दिन कुछ विरोधियों ने उन्हें गुस्सा दिलाने के लिए एक योजना बनाई. इसके लिए उन्होंने एक दुष्ट व्यक्ति को चुना और उन्हें सन्त एकनाथ जी को क्रुद्ध कर देने के लिए रुपयों का लालच दिया.

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एकनाथ जी भजन कर रहे थे तभी वह दुष्ट आया. उनके कन्धे पर चढ़कर वह उनका ध्यान भंग करने लगा. एकनाथ जी आँखें खोलते हुए बोले, ‘बन्धु! आपके जैसी आत्मीयता दिखानेवाला कोई  भी अतिथि आज तक नहीं आये. बड़ी कृपा की जो आज आप आए. आज आपको बिना भोज न कराये जाने नहीं दूँगा.’ यह सुन कर वह शर्म के मारे उनके चरणों में गिर पड़ा और सचमुच ही संत एकनाथ जी ने उसे प्रेम पूर्वक भोज न करवाकर भेजा.

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