अकबर—बीरबल के किस्से— तीन सौ सिक्के
अकबर बीरबल का यह किस्सा बहुत मशहूर है. अकबर का एक साला था जो बीरबल से बहुत ईर्ष्या करता था. वह दिन—रात यही सोचता रहता था कि आखिर बीरबल को हटा कर उसकी जगह किस तरह ली जाए. जब बहुत दिन तक उसे कोई अवसर नहीं मिला तो उसने सीधे अकबर से बात की. उसने कहा की जहापनाह आप मुझे बीरबल की जगह अपना मंत्री बना लीजिए, मैं उसकी तुलना में आपके लिए कहीं ज्यादा उपयोगी साबित होउंगा.
अकबर ने इसके लिए मना कर दिया. यह बात बीरबल तक पहुंची तो उन्होंने खुद अकबर के पास जाकर साले को एक मौका देने के लिए मना लिया. अकबर ने कहा कि उसे बीरबल की जगह आने के लिए एक परीक्षा देनी होगी. दरबार लगाया गया. अकबर ने बीरबल और अपने साले दोनों को तीन सौ सोने की मुहरे दी.
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दोनो से कहा गया कि इन तीन सौ सिक्के में से हरेक सौ सिक्के इस तरह खर्च किए जाए. पहले सौ सिक्के इस तरह खर्च किए जाए कि उसका लाभ इसी दुनिया में मिले. दूसरे सौ सिक्के इस तरह खर्च किए जाए कि उसका लाभ दूसरी दुनिया में मिले और तीसरे सौ सिक्के इस तरह खर्च किए जाए कि उसका लाभ न तो इस दुनिया में मिले और न उस दुनिया में.
अकबर का साला बड़े पशोपेश में पड़ गया. इस पहेली का हल खोजने के लिए वह बड़े—बड़े आलिमों से मिला लेकिन कोई इसका हल नहीं बता पाया. उधर दूसरी तरफ बीरबल उन सिक्को लेकर बाजार में निकल पड़ा. एक जगह उसने देखा कि एक अमीर व्यापारी के घर में बेटे की शादी है तो वह उस जगह पहुंच गया. उसने व्यापारी को सौ सिक्के देते हुए कहा कि महान सम्राट अकबर ने उसके बेटे की शादी की खुशी में सिक्को की थैली की यह सौगात भिजवाई है.
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व्यापारी यह जानकर बहुत प्रसन्न हो गया कि खुद सम्राट ने उसके बेटे के लिए उपहार भिजवाया है तो उसने बीरबल को ढेर सारे इनाम, इकराम और उपहारों के साथ विदा किया. आगे चलकर बीरबल एक बस्ती में पहुंच गए जहां ढेर सारे गरीब और मजलूम रहते थे. दूसरे सौ सिक्को से बीरबल ने उनके लिए दावत और उपहार का इंतजाम किया.
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इसके बाद बीरबल ने आखिरी सौ सिक्को से एक गीत—संगीत के कार्यक्रम का आयोजन किया और उसका जमकर मजा उठाया. अगले दिन बीरबल और अकबर का साला दोनों दरबार पहुंचे. अकबर का साला एक भी सिक्का खर्च नहीं कर पाया. बीरबल ने बताया कि उसने सिक्को के साथ क्या किया.
अपने खर्च की सफाई देते हुए बीरबल ने कहा कि उसने जो पहले सौ सिक्के खर्च किए उसके बदले उपहार के तौर पर लाभ उसे इसी दुनिया में मिल गए. दूसरे सौ सिक्के उसने जो गरीबों पर खर्च किए, उसके बदले में जो दुआएं मिली उसका लाभ उसे दूसरी दुनिया में मिलेगा और आखिरी सौ सिक्के जो उसने मनोरंजन पर खर्च किए उसका लाभ न तो इस दुनिया में मिलेगा और न उस दुनिया में.
अकबर का साला बीरबल की विद्वता का लोहा मान गया और उससे मित्रता कर ली.
शिक्षा: अक्ल और बुद्धिमानी से हरेक समस्या का हल खोजा जा सकता है.
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