Motivational Story of Sarojini Naidu |
Motivational Story- सरोजनी नायडू का प्रेरक प्रसंग
भोजन
पतला-सा दिखने वाला आदमी काले कंबल पर बैठा है और उसके पास प्याले में समले हुए टमाटर और जैतून का तेल रखा हुआ है. पास ही पिचके हुए डिब्बे में मूंगफली और कोले के बेस्वाद बिस्कुट रखे हैं.
सरोजिनी नायडू यह देखकर जोर से हंसी पड़ी. हंसी सुनकर गांधीजी ने उसकी ओर देखा और कहा, ‘‘तुम शायद सरोजिनी नायडू हो! भला और किसकी हिम्मत हो सकती है इस तरह ठहाका लगाने की. आओ, भोजन करो.‘‘
ऐसी अनोखी थी उनकी पहली मुलाकात.
Motivational Story of Bhimrao Ambedkar in hindi |
Motivational Story- भीमराव आम्बेडकर का प्रेरक प्रसंग
समय का सदुपयोग
सन् 1920 की बात है. उन दिनों डाॅ. भीमराव आम्बेडकर अपनी पढ़ाई के सिलसिले में लंदल गए हुए थे. उन्हें शिक्षा के प्रति इतना लगाव था कि वह जब भी समय मिलता, पुस्तकों में डूब जाते.
लंदन में उन दिनों अस्नाडेकर के साथ वह एक कमरे में रहते थे. अम्बेडकर को यह देखकर ताज्जुब होता कि भीमराव हर समय पढ़ते-लिखते रहते हैं.
एक दिन आधी रात उनकी नींद टूटी, तो उन्होंने देखा कि वह पढ़ाई में डूबे हुए हैं. उन्होंने पूछा, ‘‘आप अब और कितनी देर पढें़गे? समय बहुत हो गया है, सो जाइए.‘‘
आम्बेडर ने गंभीर स्वम में कहा, ‘‘अस्नाडेकर साहब, खाने के लिए पैसा और नींद के लिए समय मेरे पास कहां है? मुझे तो एक-एक क्षण का सदुपयोग करना है.‘‘ यह कहकर वह फिर पढ़ाई में तल्लीन हो गए.
Motivational Story of Buddha in Hindi |
Motivational Story- बुद्ध का प्रेरक प्रसंग
पथ-प्रदर्शन
‘क्या आपके सभी शिष्य निर्वाण प्राप्त कर लेते हैं?‘‘ एक जिज्ञासु ने गौतम बुद्ध से पूछा.
‘कुछ करते हैं, कुछ नहीं करते.‘‘ बुद्ध ने उत्तर दिया.
‘आप जैसा पथ-प्रदर्शक पाकर भी ऐसा क्यों?‘‘ जिज्ञासु ने प्रश्न किया.
‘यदि कोई पत्रिका तुमसे राजमहल का मार्ग पूछे, फिर भटक जाए, तो तुम क्या करोगे?‘‘ बुद्ध ने प्रश्न किया.
‘तथागत, मेरा काम केवल रास्त बताना है. मैं क्या करूंगा?‘‘ जिज्ञासु का उत्तर था.
‘श्रमण, मैं क्या करंगा? मेरा काम केवल पथ-प्रदर्शन है.‘‘ बुद्ध का उत्तर था.
Motivational Story of jawahar lal nehru |
Motivational Story- जवाहरलाल नेहरू का प्रेरक प्रसंग
हिम्मत
जवाहरलाल नेहरू हवाई जहाज से यात्रा कर रहे थे. कुछ देर बाद जहाज में आग लग गई. लोगों में अफरा-तफरी मच गई. चालक घबरा गया. वह नेहरू जी के पास पहुंचा और बोला, ‘‘सर, अब क्या करें, बचना मुश्किल है!‘‘
नेहरू जी बोले,‘‘डरो मत, जो कर सकते हो, करो.‘‘
चालक में उन्होेंने आत्मविश्वास जगाया और स्वयं पुस्तक पढ़ने लगे. सौभाग्य से चालकों ने हिम्मत से काम लेकर जहाज को एक चरागाह में उतार दिया और सभी बच गए.
Vachaspati Mishra Motivational Story hindi |
Motivational Story- वाचस्पति मिश्र का प्रेरक प्रसंग
बारह वर्ष
वाचस्पति मिश्र का नया-नया विवाह हुआ था. वह एक ग्रंथ लिख रहे थे. लिखने में उन्हें दिन-रात का होश नहीं रहता था. रात में दीपक की रोशनी में लिखते रहते. दीपक का तेल खत्म होने पर उसमें तेल कौन डालता है, इसका उन्हें पता भी नहीं चल पाता था.
एक रात लिखते-लिखते उन्होंने सिर उठाकर देखा कि एक स्त्री दीये में तेल डाल रही है. वह बोले, ‘‘आप कौन है?‘‘
स्त्री ने उत्तर दिया, ‘‘मैं आपकी पत्नी भामती हूं.‘‘
वाचस्पति बोले, ‘‘अच्छा-अच्छा, तो आप मेरी पत्नी है.‘‘
ग्रंथ पूरा होने में बारह वर्ष लग गए. उन्होंने ग्रंथ का नाम ही ‘भामती‘ रख दिया.
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